फिल्में अकेले क्रांति नहीं कर सकतीं लेकिन शोर मचा सकती हैं : हेमल त्रिवेदी
फिल्में क्रांति नहीं कर सकती, लेकिन वे शोर में इजाफा कर सकती हैं – कभी ज्यादा और कभी कम। यह आकलन है हेमल त्रिवेदी का। त्रिवेदी `अमंग द विलिवर्स’ की निर्देशक हैं। भारत के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह, गोवा में त्रिवेदी ने मीडिया के लोगों के बातचीत के दौरान अपना यह आकलन पेश किया। हेमल ने पाकिस्तान में आतंकवाद का हवाला देते हुए कहा कि कुछ कट्टरपंथियों की वजह से पूरे देश को नुकसान उठाना पड़ता है। लोगों को ही खुद इसका हल निकालना होगा। उन्होंने कहा कि इस फिल्म के अप्रैल 2015 में रिलीज के बाद खुद उन्हें धमकियां मिली थीं। अक्टूबर, 2015 में इस फिल्म को दोबारा लांच किया गया। यह फिल्म पाकिस्तान के एक करिश्माई धर्मगुरु के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसने राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है। यह फिल्म दो ऐसे किशोरों की भी कहानी है, जिन्होंने धर्मगुरु के नेटवर्क की ओर से चलाए जाने वाले मदरसे में शिक्षा पाई है। मीडिया के लोगों से बातचीत के दौरान `होस्टेज’ के निर्माता मरियन अरबन ने कहा कि लोग संघर्षों और विभाजन की वजह से दुख झेल रहे हैं। लिहाजा भविष्य की पीढ़ी को ऐसी सड़क बनानी चाहिए, जिसमें कोई बाड़ न हो और न ही कोई सीमा इसे बांटे। उन्होंने कहा कि दुनिया में हर कोई शांति चाहता है लेकिन विभाजन में लगी ताकतें शांति के रास्ते में अड़चन पैदा कर रही हैं। यह पूरी दुनिया में हो रहा है।