बचपन में सड़कों पर मांगी है भीख, आज हैं करोड़ों की कंपनी के मालिक
जब चाहत हो किसी चीज के पाने की वह पूरा जरूर होता है ऐसी ही एक कहानी हर उस शख्स की हो सकती है जो हालात के सामने घुटने टेकने के बजाय उनसे लड़ने की ठान लेते हैं | हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा जैसी कहावतें भी इन्हीं शख्सियतों के लिए कही गई हैं | 50 वर्षीय रेणुका आराध्या घनघोर गरीबी से निकल कर आज अपना करोड़ों का साम्राज्य स्थापित करने वाले इस शख्स की जिंदगी हम सभी हताश-निराश लोगों के लिए प्रेरणा हो सकती है | रेणुका बंगलुरू के नजदीक एनेकल तालुक के गोपसांद्रा गांव से ताल्लुक रखते हैं | उनके पिताजी राज्य सरकार द्वारा आवंटित एक मंदिर के पुजारी थे | हालांकि इसके लिए उन्हें कोई तयशुदा वित्तीय मदद नहीं मिलती थी | पूजा के बाद वे और उनके पिताजी नजदीकी गांव में घूम-घूम कर चावल, रागी और ज्वार मांगा करते. उस मिले राशन को पास के बाजार में बेचा जाता और मिली रकम से पूरे घर का गुजारा चलता | उनके एक भाई और बहन का गुजारा भी इसी से चलता.कक्षा 6 की पढ़ाई के बाद उन्हें पिता ने किन्हीं घरों में घरेलू कामकाज के लिए लगा दिया | वर्तमान समय में यही शख्स आज करोड़ों की कंपनी के मालिक बना हुआ है जो इस स्थिति से गुजरने वालो के लिए एक आदर्श बन सकते है |