बीमार माँ और भाई-बहनों के लिए 10 साल का रोहित जूते पॉलिश कर चला रहा घर
भरतपुर | इस खबर को पढ़ कर आप को विडंबना ही लगेगा की 10 साल की उम्र के बच्चों के खेलने-कूदने की होती है,लेकिन भरतपुर के वी नारायण गेट इलाके के रैगर मोहल्ला में रहने वाले रोहित ने इतनी सी उम्र में पूरे परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ अपने नाजुक कंधों पर उठा रखा है | इतने कम उम्र में पिता का साया सिर से उठ जाने के बाद इस मासूम ने घर की जिम्मेदारियों को एक व्यक्ति की तरह बखूबी संभाल रखा है | यही नहीं रोहित के सर पर एक पहाड़ और टूट पड़ा वह उसकी माँ का बिमारी के कारण विस्तर पकड़ लेना | रोहित घर के सारे काम करता है रोज सुबह छोटे भाई-बहनों और मां के लिए खाना बनाता है और बाद में खर्चा चलाने के लिए बाजार में फुटपाथ पर मोची की दुकान लगाकर शाम को दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करके ही घर वापस लौटता है | विदित हो की 4 महीने पहले बीमारी के चलते दस वर्षीय रोहित के पिता गोविंद की मौत हो गई, तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. गोविंद की मौत के बाद उसकी पत्नी सुनीता घर-घर जाकर लोगों के झूठे बर्तन साफ करने लगी और जैसे-तैसे अपने बच्चों का पालन-पोषण करने लगी, लेकिन वह भी धीरे-धीरे बीमार रहने लगी.बीमारी का ठीक से इलाज नहीं करा पाने की वजह से वह कमजोर होती गई और फिर उसने भी काम पर जाना बंद कर दिया | घर में कोई और कमाने वाला नहीं होने की वजह से उसने अपना छोटा सा मकान भी गिरवी रख दिया.पाॉलिश करने का काम शुरू कर दिया. रोहित के पिता भी मोची का काम किया करते थे| वह मोरी चार बाग में जमीन पर बैठकर लोगों के फटे-टूटे जूते चप्पलों की मरम्मत करता है और उन्हें पॉलिश करता है. इस तरह किसी दिन वह 50 रुपये कमा लेता है तो किसी दिन 100 रुपये की कमाई हो जाती है | मासूम रोहित के ऊपर बचपन में ही परिवार का साया दूर होने पर गरीबी और तंगहाली में जीवन काटने पर मजबूर उसके मोहल्ले के लोग भी आहत हैं | रोहित के मोहल्ले के आस पास के लोग परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए सरकार और प्रशासन से गुहार भी लगाई है |