मुझे समान शिक्षा का अधिकार चाहिए ….
देशभर में विकलांग वर्ग की कहानी उसी जुबा को दोहराती है जहाँ समाज , समाजिक और सम्मान जैसे शब्द गूँजते रहते है | समाज में रहने वाले सभी वर्गो के लोग अपने जीवन को कुशलता पूर्वक चलाने के लिए कुछ अपेक्षाएं सरकार के साथ साथ आस पड़ोस से भी रखती है | इन्ही अपेक्षाओं की आस लिए विकलांग वर्ग आज भी एक अच्छी राह देख रहे है | विकलांग वर्ग की अपेक्षाएं धराशायी होने की पहली सीढ़ी शुरूआती शिक्षा में भेदभाव | विकलांग बच्चों के लिए प्रारम्भिक शिक्षा की सभी सरकारी सुविधाए कागजी शो पीस बनी हुई है कारण भेदभाव | उदाहरण के तौर पर दोनों पैरो से लाचार बच्चा जब स्कूल की दहलीज पर पहुचता है तो उसे अलग नजरिये से देखा जाता है और यह नजरिया जब तक लोगो में विद् मान रहेगी तब तक उसको समाज और शिक्षा का सही ज्ञान नही हो पायेगा | उनको केवल समान शिक्षा का अधिकार चाहिए | इससे वह अपने आप को एक अलग थलग का जो एहसास महसूस करते है वह नही होगा | सरकार ऐसे बच्चों के लिए अलग नही एक सामान्य बच्चों के बीच शिक्षा प्रदान कराये | जिससे ऐसे बच्चों के अंदर की कुंठा को समाप्त किया जा सके तभी सफल होगा असली मायने में समान शिक्षा का अधिकार युक्त नारा |
-अरुण कुमार यादव (संपादक)