रिक्शा चालक का बेटा बना IAS
जज्बात और समाज के ताने गोविंद जायसवाल को इतना यकिनमय बना दिया की आज वह उन शब्दों को झुठला दिया जो गोविंद जायसवाल सुन सुन कर बढ़े हुए | शब्द के कुछ अंश ‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हो गई मेरे बेटे के साथ के खेलने की| तुम्हें नहीं पता कि तुम क्या हो और कहां से आते हो? पढ़-लिखकर ज्यादा से ज्यादा अपने पिता का काम करके थोड़ा पैसा कमा लोगो, तुम कितना भी पढ़ लोगे रहोगे तो रिक्शा ही चलाने वाले’ | यह सुन सुन कर वह अपने जीवन में ठान लिए की वह ऐसा क्या करें कि लोग उनकी इज्जत करना शुरू कर दें. उन्होंने इज्जत पाने के लिए पढ़ाई को चुना क्योंकि वह जानते थे कि पढ़ाई के अलावा कोई भी दूसरी चीज उन्हें इन शब्दों से छुटकारा नहीं दिला सकती है | गोविंद जायसवाल फिर पीछे नही देखे उन्होंने पहले प्रयास में ही 2006 की IAS परीक्षा में 48 वां रैंक हासिल किया था | इन परीक्षा में हिंदी माध्यम की श्रेणी में वह टॉपर रहे थे | 32 साल के गोविंद फिलहाल ईस्ट दिल्ली एरिया के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हैं | गोविंद के पिता नारायण जायसवाल पढ़े-लिखे नहीं हैं और रिक्शा चलाते हैं | यही नही गोविंद के पिता नारायण जायसवाल सही से सुन भी नहीं पाते हैं | बेटे के IAS बनने के सपने को सिर्फ खेत बेचकर ही पूरा किया जा सकता था | उन्होंने वही किया बेटे को IAS बनने के सपने को पूरा करने के लिए अपना खेत बेच दिए |