विकलांग खिलाड़ी प्रेम कुमार 150 विकलांग लोगो को दे रहे है खेल प्रशिक्षण
समाज , समाजिक और सम्मान यह ऐसे शब्द है जो जीवन में अपना अलग महत्व रखती है | समाज में रहने वाले सभी वर्गो के लोग अपने जीवन को कुशलता पूर्वक चलाने के लिए कुछ अपेक्षाएं सरकार से भी रहती है | इन्ही अपेक्षाओं की आस लिए विकलांग वर्ग आज भी एक अच्छी राह देख रहे है | विकलांग वर्ग की अपेक्षाएं धराशायी होने की पहली सीढ़ी शुरूआती शिक्षा में भेदभाव | विकलांग बच्चों के लिए प्रारम्भिक शिक्षा की सभी सरकारी सुविधाए कागजी शो पीस बनी हुई है कारण भेदभाव | उदाहरण के तौर पर दोनों पैरो से लाचार बच्चा जब स्कूल की दहलीज पर पहुचता है तो उसे अलग नजरिये से देखा जाता है और यह नजरिया जब तक लोगो में विद् मान रहेगी तब तक उसको समाज और शिक्षा का सही ज्ञान नही हो पायेगा | इसी कड़ी में युवा विकलांग भी अन्य क्षेत्रो में सरकारी सुविधाओ की आहें देख रही है | देहरादून के पैराओलम्पिक खिलाड़ी एवम् उत्तराखण्ड पैराओलम्पिक एसोसिएशन के सचिव प्रेम कुमार जहा विकलांग प्रतिभाओ को खेल के माध्यम से एक अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है वही उनकी दशा को लेकर चिंतित भी है | एक कोच के रूप में खिलाड़ी प्रेम कुमार अनेक खेल के माध्यम से 150 से अधिक विकलांग लोगो को प्रशिक्षण दे रहे है | प्रेम कुमार ने कहा की इन्ही कड़ी में देहरादून में 13 व् 14 फ़रवरी को पैराओलम्पिक एसोसिएशन ऑफ़ उत्तराखण्ड द्वारा विकलांग वर्ग के लिए स्टेट पैरॉलम्पिक स्पोर्ट्स प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है | उन्होंने ने इस आयोजन को लेकर सभी सामाजिक संगठनो और सरकार से सहयोग की अपील भी किया |