सरकारी स्कूल, अध्यापक , और जिम्मेदारी
सरकार सरकाई देती है सरकारी स्कूलो को मॉडल बनाने की की इच्छा सकती को| देश में कुछ सरकारी स्कूलो को छोड़ कर वह भी किसी प्राइवेट मदद के द्वारा बाकी स्कूलो की दशा आप के सामने है जो खुद अलग अलग तरीके से अपनी व्यथा पर शर्मिंदा है| जब सरकार उसी स्कूल की अध्यापक या अध्यापिका से स्कूल का बजट के प्रति रिपोर्ट तैयार कराना, मध्यान्तर भोजन की जिम्मेदारी, विजली पानी के बिल की जिम्मेदारी, देश में होने वाले चुनाव की भी जिम्मेदारी किसी भी सरकारी सर्वे के साथ साथ स्कूल की बॅलेन्स शीट की जिम्मेदारी तो कैसे होगी बच्चों के भविष्य की बैलेंस शीट की तैयारी| स्कूली सुविधा के नाम पर सरकार का नम्बर शून्य ही आता है|ऐसे कैसे बच्चों की दाखिला में बढ़ोत्तरी होगी |सरकार जिस दिन सच्चे नियत से सरकारी स्कूलो के प्रति वचनवध होगी उसी दिन से सरकारी स्कूलो की दिशा और दशा जनता के सामने होगा|अध्यापक का काम पढाना होता है जिस दिन सरकार सरकारी स्कूलो की अन्य जिम्मेदारियो से मुक्त कर अध्यापको को केवल पढाने की जिम्मेदारी देगी उसी दिन से अच्छे मॉडल युक्त सरकारी स्कूलो का सपना साकार होगा|
अरुण कुमार यादव (संपादक )