स्मार्ट सिटी बनाने पर पर्यावरण का रहेगा ध्यान : हरीश रावत
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि देहरादून में स्मार्ट सिटी के संबंध में व्यक्त की गई तमाम शंकाओं व चिंताओं को राज्य सरकार ने गम्भीरता से लेते हुए इनका समाधान किया है। इसीलिए स्मार्ट सिटी को स्केल डाउन करते हुए इसके एरिया को 350 एकड़ से नीचे रखा गया है। जीएमएस रोड़ स्थित एक होटल में अमर उजाला द्वारा स्मार्ट सिटी पर आयोजित संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि विकास के इतिहास में एक फेज दूसरे फेज को टेकओवर करता है। पूर्व केंद्र सरकार द्वारा जेएनएनयूआरएम के जरिए शहरों व कस्बों को ट्रांसफोर्म किया जा रहा था। वर्तमान केंद्र सरकार स्मार्ट सिटी व अमृत शहर की कन्सेप्ट लाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा स्मार्ट सिटी के लिए प्रारम्भिक तौर पर चयनित शहरों में देहरादून को शामिल किया गया है। हमारे सामने दो विकल्प थे। पहला, वर्तमान देहरादून में ही रेट्रोफिटिंग कन्सेप्ट के साथ बदलाव लाते। इसके लिए नगर निगम को आगे आना होता। परंतु वर्तमान में नगर निगम देहरादून की स्थिति ऐसी नहीं है कि इसमें कुछ विशेष कर पाता। दूसरा, एक नए क्षेत्र को स्मार्ट कन्सेप्ट के साथ विकसित करते। इसमें मसूरी की तरफ नहीं बढ़ा जा सकता था। रायपुर में वन क्षेत्र आ जाता है। डोईवाला में कृषि भूमि है जो कि चीनी मिल को सपोर्ट करता है। इससे सैंकड़ों लोगों की आजीविका जुड़ी है। सर्वश्रेष्ठ विकल्प चाय बागान की भूमि थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि चाय बागान की भूमि पर अतिक्रमण होने लग रहे थे और अवैध प्लाटिंग भी देखने को मिल रही थी। हमने लोगों द्वारा व्यक्त की गई शंकाओं को पूरी गम्भीरता से लिया है और इनका समाधान किया है। चाय बागान में वर्तमान में कार्यरत मजदूरों को स्मार्ट सिटी में रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा और उन्हें अच्छा घर भी उपलब्ध करवाया जाएगा। जो लोग वहां खेती कर रहे हैं या जिन्होंने प्लाट क्रय किए हैं उनके हितों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। एफआरआई से यह बताने को कहा गया है कि स्मार्ट सिटी में पर्यावरणीय कारणों से कितना ग्रीन कवर आवश्यक है, उतनी भूमि इसके लिए चिन्हित कर दी जाएगी।