हरकी पौड़ी पर पसरा गंदगी का सम्राज्य
हरिद्वार। तीर्थनगरी हरिद्वार की पहचान गंगा से है और गंगा घाटों की साफ- सफाई में हरिद्वार की मर्यादा झलकती है। क्योकि यहां आने वाले श्रद्धालु यात्री गंगा में स्नान करने के लिए गंगा घाटों पर एकत्रित होते है।इसीलिए गंगा के घाटों को साफ रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। लेकिन क्या ऐसा हो रहा है? नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है। क्योकि हरिद्वार के तमाम घाटों पर गंदगी का सम्राज्य कायम हो गया है। विश्व प्रसिद्ध हरकीपौड़ी का गंगा घाट भी इससे अछूता नहीं रह गया है। जबकि इस घाट पर वर्ष भर स्नान करने के लिए श्रद्धालुजन आते रहते है। अर्द्धकुंभ, महाकुंभ, सावन मास, अमावस्या, पूर्णिमा सहित सभी प्रमुख स्नान पर्वो पर इस घाट पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या करोड़ तक पहुंच जाती है। इससे एक ओर जहां तीर्थनगरी की मर्यादा तार- तार हो रही है। वहीं स्थानीय प्रशासन, गंगा सभा, नगर निगम, राजनेता, संत- महंत के साथ आम आदमी की भुमिका पर भी सवाल है। क्या ये सभी लोग अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे है? नहीं! क्योकि ये सभी लोग अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करते तो हरिद्वार में एक अलग ही नजारा देखने को मिलता। इससे एक ओर जहां हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु की भावना पवित्र होगी। वहीं तीर्थनगरी की मान मर्यादा भी बढ़ेगी। लेकिन ऐसा कब होगा यह बताने वाला कोई नहीं है। हरिद्वार जिसे गंगा का द्वार भी कहा जाता है। क्योकि पहाड़ों से चलकर आई गंगा का यहीं से मैदानों में प्रवेश होता है। गंगा के द्वार हरिद्वार में गंगा घाटों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। लेकिन सभी आंख मूंदकर सो रहे है। चाहे वह शासन- प्रशासन हो, गंगा सभा, नगर निगम, राजनेता, संत समाज, आमजन सब चुपचाप तमाशा देख रहे है।