15 वर्षीय प्रिया बाल विवाह कुप्रथा के खिलाफ लड़ रही जंग
राजस्थान | जब अगर जज्बा हौसलों को छू ले तब समझ लीजिये आप अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहे है | जी हां बात हो रही है इसी वाक्यांश का एक 10 साल की उम्र में उसने दुल्हन बनने से इनकार कर दिया। इस नन्हीं उम्र में उसने बाल विवाह के खिलाफ जो मुहिम छेड़ी आज 15 वर्ष की उम्र तक जाते-जाते वह इस सामाजिक कुप्रथा के खिलाफ पूरे जिले में बिगुल फूंक चुकी है। आज वह अपने जिले की लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। यह प्रेरक कहानी है अलवर जिले की प्रिया जांगिड़ की।15 वर्षीय प्रिया जांगिड़ अलवर के हिसला गांव की रहने वाली हैं। पूरे राजस्थान में आज बाल विवाह कुप्रथा के खिलाफ लड़ने वालों में प्रिया एक अलग जाना पहचाना नाम हैं। नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के संगठन बचपन बचाओ आंदोलन के जरिए खुद को इस कुप्रथा से बाहर निकालने वाली प्रिया अब जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को इसकी विसंगतियों से आगाह करती हैं। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर प्रिया ने लोगों को जागरूक करने के लिए एक गोष्ठी का आयोजन किया। इस दौरान प्रिया ने लोगों को बताया कि बाल विवाह पाप है और लड़की एक आशीर्वाद है।