विश्वविद्यालयों में गढवाली व कुमांऊनी भाषा के केन्द्र होंगे स्थापित
देहरादून | मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राजपुर रोड स्थित स्थानीय होटल में मीडिया से वार्ता की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिये राज्य सरकार ने अनेक कदम उठाये हैं। शिक्षण और शोध में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 05 शिक्षकों का सम्मान देने का निर्णय लिया गया है। यह पुरूस्कार डाॅ.भक्तदर्शन के नाम से जाना जायेगा। विश्वविद्यालयों में गढवाली व कुमांऊनी भाषा के केन्द्र स्थापित किये जायेंगे। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहित करना है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों द्वारा उत्तराखण्ड की हस्तियों, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य किया है, उनको डाॅ.आॅफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया जा रहा है। अनेक ऐसी प्रतिभाएं हैं जो पीएचडी के स्वरूप के अन्तर्गत नहीं आ सकते हैं। लेकिन कुछ विशिष्ट कार्यों की वजह से विश्वविद्यालयों द्वारा डाॅक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालयों की इस पहल की सराहना की है। अभी कुमांऊ विश्वविद्यालय ने पदमश्री प्रसून जोशी व उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा प्रीतम भरतवाण को डाॅक्टरेट की उपाधि के लिये चयनित किया गया है। दून विश्वविद्यालय द्वारा अपने पहले दीक्षांत समारोह में लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी व कानपुर के सांसद एवं पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डाॅ. मुरली मनोहर जोशी को डाॅक्टरेट की मानद उपाधि से अलंकृत किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा संस्कृत, वेद व योग को बढावा देने के लिये विशेष पाठ्यक्रमों के रूप में अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है। यह एक सराहनीय कदम है। 03 व 04 नवम्बर को हरिद्वार में आयोजित ज्ञान कुम्भ में उच्च शिक्षा के विकास के लिये गहन विचार मंथन किया गया। ज्ञान कुम्भ शिक्षा जगत में लम्बे समय तक अपनी छाप छोड़ने में सफल होगा। उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ.धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों में प्रति वर्ष दीक्षांत समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में 30 नवम्बर, 2018 को दून विश्वविद्यालय के दीक्षांत सामारोह का आयोजन किया जायेगा। इस अवसर पर दून विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ.चन्द्रशेखर नौटियाल व डाॅ.हर्षवन्ती बिष्ट उपस्थित थे।