‘छपाक’ बॉलीवुड के लिए खास…
छपाक फिल्म कई मायनों में खास है। यह समाज के उस नासूर की ओर इशारा करता है, जिस पर सिस्टम की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हो रहा है। इस तरह की मुद्दा प्रधान फिल्मों के लिए चुनौती संजीदगी और सनसनीखेज के दो पाटों के बीच संतुलन साधने की होती है। अलबत्ता ‘छपाक’ को बॉलीवुड की एकरेगुलर फिल्म की नहीं, एक दस्तावेज के तौर पर देखा जाना चाहिए। फ़िल्म की कहानी ऐसी है नायिका 19 साल की हंसमुख और हसीन मालती की है, जो उस तबके से आती है, जहां अपने लिए सपने देखना ही बहुत बड़ी बात होती है। ऐसे ही हालात में उसके सपनों को बशीर खान ऊर्फ बब्बू की नजर लग जाती है, जो समाज पर बदनुमा दाग है।जब बब्बू के नापाक इरादों को मालती नकार देती है तो वह उस पर तेजाबी हमला करवाता है। वह भी अपनी रिश्तेदार परवीन शेख से, जो खुद एक महिला है। हालांकि शुरुआत में इसका शक मालती के बॉयफ्रेंड राजेश पर जाता है। मालती के परिवार की आर्थिक स्थिति नाजुक है, जिसे उसके पिता की मालकिन शिराज और उनकी वकील अर्चना का सहारा मिलता है। पत्रकारिता और नौकरी छोड़ तेजाबी हमलों में बचे लोगों के हक के लिए एनजीओ चलाने वाला अमोल मालती के संघर्ष का हमसफर बनता है।