संसद का मानसून सत्र स्वाहा
प्रमोद शर्मा (दीपनगर देहरादून)
ससंद का सत्र जिस हंगामे के साथ शुरू हुआ उसी हंगामे के साथ खत्म हो गया। ऐसा लगता है कि हमारे देश के नेता नहीं चाहते की संसद चले और काम हो उनको तो बस अपनी राजनीति से मतलब है। जनता और देश के विकास की किसी को फिक्र नहीं। इस सत्र में लोगो के फायदे के किए कोई काम नही हुआ और नही कोई बिल पास हुआ। हमारे देश में करोड़ो लोग बेरोजगार है। हजारों गांवो में पीने के लिए पानी की समस्या बिजली की समस्या, घर की समस्या है परन्तु किसी को इनकी चिन्ता नही है बस अपनी राजनीति करनी है। हमारे देश का अन्न दाता आर्थिक तंग्गी और कर्ज में डूबा हुआ है आत्महत्या कर रहा है। परन्तु सरकार और विपक्ष कोई उनके बारे में नही सोचते। भारत केा एक विकसित देश बनाने के लिए सभी को देश के लिए सोचना चाहिए। अपने द्वारा किये गये लोगो से वादो को पूरा करना चाहिए। संसद में सभी सांसद जनता के जनप्रतिनिधि होते है उनको जनता की समस्या को संसद में उठाना चाहिए। न कि अपनी राजनीति को चमकाना चाहिए। वास्तव में हमारे देश की तरक्की तभी सम्भव है जब सभी राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे के सहयोग से जनता का सहयोग कर देश की तरक्की के लिए सोचे। देश से बेरोजगारी, भुखमरी,बिजली की समस्या,पानी की समस्या,देश में किसानो द्वारा हो रही आत्महत्या के विषय में सोचना चाहिए। संसद न चलने के कारण हुए 261करोड़ का नुकसान नेताओ का नहीं जनता का नुकसान है अगर हमारे देश से बेरोजगारी की समस्या, भ्रष्टाचार की समस्या, शिक्षा एवं भुखमरी की समस्या खत्म हो तो हमारा भारत फिर से सोने की चिडि़या कहलाने लगेगा।ऐसा हाने हमारा देश विकसित देश की श्रेणी में खड़ा हो जायेगा।