जोशीमठ : भटकंडा, लुणेठा और पिपोलाखास गांव में गहरी होने लगी हैं दरारें
टिहरी। जोशीमठ में भूधंसाव और घरों में दरारें आने से वहां के निवासी राहत कैंपों में हैं। इसी तरह उत्तराखंड के कई गांव दरारों के दर्द से कराह रहे हैं। इसी क्रम में टिहरी जिले में बांध प्रभावित भिलंगना और भागीरथी क्षेत्र के 16 गांवों के निवासियों की चिंता भी बढ़ने लगी है। भट कंडा, लुणेठा और पिपोलाखास गांव में तो इन दिनों फिर से दरारें गहरी होने लगी हैं। वहीं टिहरी जिले में ही ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर बनी सुरंग के ऊपर भूधंसाव से मठियाण गांव के कई मकानों में दरारें पड़ने से वो रहने लायक नहीं रहे।
उधर, चमोली जिले के कर्णप्रयाग में भी लगभग 60 घरों में दरारें आने के बाद तहसील प्रशासन ने आठ भवनों को रहने लायक नहीं बताते हुए परिवारों को रैन-बसेरे में शिफ्ट कर दिया है। वहीं, रुद्रप्रयाग जिले में गुप्तकाशी के पास सेमी भैसारी गांव पूरी तरह भूधंसाव की चपेट में है। यहां आवासीय भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने से प्रभावित घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर रहने को मजबूर हैं। वर्ष 2010 में टिहरी झील के जलस्तर में भारी वृद्धि होने से जलस्तर आरएल 830 से ऊपर पहुंच गया था। इसके बाद भागीरथी व भिलंगना के कई गांवों में भूस्खलन सक्रिय होने के साथ ही भूमि और मकानों में दरारें आ गई थी। इसके बाद 44 गांवों के भूगर्भीय सर्वेक्षण में 17 गांवों को संवेदनशील मानते हुए तुरंत हटाने की सिफारिश की गई थी। ग्रामीणों के आंदोलन के बाद वर्ष 2021 में विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की गई।