इनसे सीखे : आंखों में रोशनी नहीं, बेनो फिर भी नहीं हारी हिम्मत, बनी आईएफएस
चेन्नई | जिंदगी में बहुत सी कठिनाइयों से गुजरने और अंत में जीतने के बाद, ज़ेफीन की अन्य विकलांग लोगों को सलाह है कि वे अपने सपनों को कभी न छोड़ें और उनके लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करें. बेनो जेफिन के दोस्त और परिवार के लोग उसे “कलेक्टर” कहते थे, क्योंकि वह जिस चीज में विश्वास करती थी, उसके लिए खड़े होने की खूबी उनके अंदर थी | बेनो जेफिन में भारतीय विदेश सेवा में जाने वाली पहली सौ प्रतिशत नेत्रहीन अफसर बनी | बेनो जेफिन ने यूपीएससी परीक्षा में एयर 342 हासिल की थी | चेन्नई की बेनो जेफीन ने जब सिविल सेवा परीक्षा पास की, तब वे केवल 24 साल की थी | वह तब तक अंग्रेजी साहित्य में डॉक्टरेट कर और भारतीय स्टेट बैंक में एक प्रोबेशनरी ऑफिसर की नौकरी के बीच संघर्ष कर रही थी | मद्रास विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर, बेनो ने भारतीय स्टेट बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में काम किया | चेन्नई में रेलवे कर्मचारी ल्यूक एंथोनी चार्ल्स की होममेकर पत्नी मैरी पद्मजा के घर बेनो ने जन्म लिया | मां-पिता दोनों की जितनी हैसियत थी, उससे थोड़ा और ज्यादा अपनी बच्ची के लिए किया | उनकी स्कूली पढ़ाई नेत्रहीनों के लिए बने लिटिल फ्लावर कॉन्वेंट में हुई | वह कहती हैं कि उनका परिवार उनका सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम है | बेनो जेफिन अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षकों और प्रशिक्षकों और अपने माता-पिता को उनके अटूट समर्थन के लिए देती हैं | उन्होंने पढ़ाई के लिए जॉब एक्सेस विद स्पीच सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया | इस सॉफ्टवेयर से नेत्रहीन लोग कंप्यूटर स्क्रीन से पढ़ते हैं | जिंदगी में बहुत सी कठिनाइयों से गुजरने और अंत में जीतने के बाद, ज़ेफीन की अन्य विकलांग लोगों को सलाह है कि वे अपने सपनों को कभी न छोड़ें और उनके लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करें | जब विदेश मंत्रालय के आईएफएस में उसके चयन की पुष्टि के लिए फोन कॉल आया तो उस कॉल ने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी |