उत्तराखण्ड बोर्ड रिजल्ट : 10वीं में काजल व 12वीं में दिव्यांशी रही टॉपर
देहरादून/रामनगर | उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद ने शनिवार को 10वीं और 12वीं के रिजल्ट घोषित कर दिया। 10वीं में कुल 74.57 प्रतिशत बच्चे और 12वीं में 78.97 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण हुए हैं। प्रदेश में 1 लाख 30 हजार 94 बच्चों से दसवीं और एक लाख 46 हजार 166 विद्यार्थियों ने बारहवीं की परीक्षा दी थी। परीक्षा उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद के सभापति आरके कुंवर ने रिजल्ट घोषित किए। 10वीं में ऊधमसिंहनगर के राणा प्रताप इंटर कॉलेज की छात्रा काजल प्रजापति टॉपर रहीं। काजल ने 98.40 प्रतिशत अंक हासिल कर उत्तराखण्ड बोर्ड में टॉप किया है। 12 वीं में 78.97 फीसदी…
रोजगार या परेशानी
आदमी का स्रोत बढाने के लिए शुुरू की गई यह पीठ हर सप्ताह भरती है, इसमें सबका जरूरत का सारा सामान कम रेट पर उपलब्ध होता है। देहरादून में प्रति सप्ताह दूर -दराज के व्यापारी सामान बेचने आते हैं, सहारनपुर, दिल्ली, उ0प्र0, के व्यापारी सामान लाकर यहां बेचते हैं। हर रविवार को परेड ग्राउंड के पास मेला सा लग जाता है। इतनी भीड कि निकलने की की जगह नहीं मिल पाती है। आते-जाते वाहन चालकों को परेशानी होती है, तभी मैंने यह शीर्षक दिया है क्योंकि इससे साप्ताहिक पीठ से किसी को रोजगार और किसी को जरूरत के सामान उपलब्ध…
भगवान भरोसे नहीं छोड़ सकते कश्मीर!
जम्मू कश्मीर के हालात बेकाबू हो रहे हैं। मुश्किलों के कई स्तर बन गए हैं और समाधान की पहल किसी स्तर पर होती नहीं दिख रही है। तीन साल पहले जिस उम्मीद के साथ जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की सरकार बनी थी, वह उम्मीद धीरे धीरे खत्म हो रही है। ऐसा लग रहा था कि घाटी के लोगों की बात करने वाली और काफी हद तक अलगाववादियों की पसंद वाली पार्टी पीडीपी के साथ जम्मू के लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली राष्ट्रवादी भाजपा की सरकार बनेगी तो हालात सुधरेंगे। लेकिन उलटा हुआ है। भाजपा के साथ…
भूख की सत्यता …
भूख एक ऐसा तत्त्व है जिसका अहसास हमें हमारे जीवन के जन्म के साथ ही होता है l नवजात शिशु को भय , प्यार गुस्सा आदि का ज्ञान नही होता है , पर भूख का होता है I क्या हमने कभी शिशु को गुस्सा करते देखा है ? नहीं , लेकिन जब उसे भूख लगती है वो रो कर अपनी माँ को संकेत देता है कि भूख लग गयी है उसके लिए सबसे प्यारी चीज माँ का ढूध है , तभी हम देखते है कि बचा तब थोड़ा बड़ा होता है तो उसके सामने कोई भी चीज आने पर वह…
मजदूरों का बाजार
वैसे तो देश में कई बाजार देखने को मिलते हैं,जैसे-पलटनबाजार,मीनाबाजार,बरेली का बाजारआदि लेकिन क्याआपने कभी मजदूरों के बाजार के बारे में सोचा है? जी हां,मैं उस बाजार की बात कर रही हूं जहां मेहनत बेची जाती है या मजदूरों को खरीदा जाता है । हमारे देहरादून में भी यह बाजार कई जगह लगता है घण्टाघर,लालपुल पर कई मजदूर सुबह सात बजे से खडे हो जाते हैं फिर एक दिन के खरीदारआकर उन्हें अपने साथ काम करने के लिए ले जातें हैं। ये मजदूर बिहार उ0 प्र0 से बेरोजगारी की मार से बचने के लिए अपने घर परिवार को छोडकर एक…
समस्या विश्व शान्ति की
आजकल विश्व एक गम्भीर संकट से गुजर रहा है। युद्ध का खतरा डिमोक्लीज की तलवार की तरह मानव जाति के सिर पर लटक रहा है। मानव जाति ने बडे कष्ट और दुख, कठिन परीक्षाओं एवं तकलीफों का सामना किया है। वह शान्ति के पीछे भागती है। जो कि इसके में नहीं है। शान्ति बहुत महान चीज है जिसको मानवता चाहती है, क्योंकि बिना इसके मुक्ति नहीं। पृथ्वी माता की छाती पर युग-युगों से जो असंख्य युद्ध लडे गये हैं, उन्होंने मानव जाति को विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरित किया है, जिससे कि उसका यहां सुखमय वास हो सके।…
आखिर कितनी और जान लेगी दहेज प्रथा
दहेज प्रथा भारत में बहुत बडी सामाजिक बुराइयों में से एक है। आये दिन दहेज के कारण मृत्यु के समाचार सुनने को मिलते हैं। इस दहेज रूपी राक्षस द्वारा माता पिताओं की बहुत सी बेटियां उनसे छीन ली गई है। हमारे समाज में प्रचलित भ्रष्टाचार के कारणों में से अधिकतर दहेज का कारण है। लोग गैर कानूनी रूप से धन संचय करते हैं। क्योंकि उन्हें अपनी पुत्रियों की शादी में दहेज पर भारी खर्च वहन करना पडता है। यह बुराई समाज को खोखला कर रही है। और वास्तविक प्रगति अवरूद्ध हो गई है। दहेज प्रथा वर्तमान भारतीय समाज की ही…
भारत में लोकतन्त्र का भविष्य
भारत विश्व का सबसे बडा लोकतन्त्र है। लगभग 36 करोड से अधिक लोगों को राज्यों की विधान सभाओं और केेन्द्र में लोक सभा के सदस्यों को चुनने के लिए मताधिकार प्राप्त है। 26 जनवरी, 1950 को हमारे संविधान के लागू होेने के पश्चात् लोक सभा के नौ और राज्य विधानसभाओं के लिए इससे भी कई अधिक बार आम चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं। इस पूरी अवधि में लोकतान्त्रिक क्रिया कलाप भारत में भली प्रकार होते रहें हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतन्त्र को विश्वसनीयता प्रदान की है। जबकि हमारे पडौस में पश्चिम और पूरब दोनों में ही कुछ हद तक उत्तर में…
गुट निरपेक्षता ही शान्ति का सहारा
गुट निरपेक्षता अन्तर्राष्टी्रय मामलों में एक शक्तिशाली शक्ति बन गयी है। ऐसे समय में जबकि विश्व में दो गुटों के बीच अविश्वास, भय एंव संदेह तथा पारस्पारिक दुश्मनी का बोलबाला है, मानव जाति की मुक्ति के लिए गुट निरपेक्षता की आशा की एक किरण प्रदान करती है। विश्व पर प्रभुत्व जमाने हेतु महाशक्तियों के पास विनाशकारी शक्ति के नाभिकीय अस्त्र हैं; ऐसे समय में गुट निरपेक्षता ही शान्ति का सहारा मालूम पडता है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में गुट निरपेक्षता पूर्ण रूप से नई चीज नहीं है। यह धारणा किसी न किसी रूप में आस्तित्व में रही है। पुराने जमाने में भी…
समस्या बेरोजगारी की…
रोजगार व्यक्ति की आधारभूत आवश्यकता है’ ईश्वर ने हमें मस्तिष्क और हाथ और पांव दिमाग की अनेक शक्तियाॅ दिल और भावना प्रदान की हैं जिससे कि उनका सदुपयोग किया जा सके और मनुष्य आत्मा-सिद्धि प्राप्त कर सके शायद हमारे जीवन का यही लक्ष्य हो। किन्तु यदि हमारे पास करने को कोई काम नहीं है यदि वर्णित शक्तियां का प्रयोग करने के लिए हमारे पास अवसर ही नहीं तो बहुत सी समस्याएं खडी हो जाती हैं। प्रथम हम अपनी शारीरिक और मानसिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकते द्वितीय कार्य की अनुपस्थिति में हमें शराफत करना आयेगा। इस प्रकार ऐसे समाज…