सरकारी स्कूल, अध्यापक , और जिम्मेदारी
सरकार सरकाई देती है सरकारी स्कूलो को मॉडल बनाने की की इच्छा सकती को| देश में कुछ सरकारी स्कूलो को छोड़ कर वह भी किसी प्राइवेट मदद के द्वारा बाकी स्कूलो की दशा आप के सामने है जो खुद अलग अलग तरीके से अपनी व्यथा पर शर्मिंदा है| जब सरकार उसी स्कूल की अध्यापक या अध्यापिका से स्कूल का बजट के प्रति रिपोर्ट तैयार कराना, मध्यान्तर भोजन की जिम्मेदारी, विजली पानी के बिल की जिम्मेदारी, देश में होने वाले चुनाव की भी जिम्मेदारी किसी भी सरकारी सर्वे के साथ साथ स्कूल की बॅलेन्स शीट की जिम्मेदारी तो कैसे होगी बच्चों…
किसान गजेन्द्र की मौत पर राजनेता राजनीति और मीडिया टीआरपी में लगी
किसान पर राजनीति करना देश के लिए तो ठीक है पर किसान की मौत पर राजनीति करना देश के लिए शर्म की बात है|जिस तरह से किसान के फसलों को नुकसान प्रकृति द्वारा पहुचा है उसकी भरपाई सरकार जिस तरह कर रही वह शर्मनाक और अशोभनीय है |मीडिया गजेन्द्र जैसे न जाने कितनो किसानो की ख़बर दबाये बैठी है जो आप के रैली में आत्महत्या करने वाले किसान गजेन्द्र की ख़बर को आप के सहारे टीआरपी बढ़ाने में लगी हुई है|प्रश्न यह बार बार मन में आ रहा है क्या आम आदमी पार्टी के रैली से पहले या उसके…
धरती का सीना छलनी करके आखिर क्या मिला
आज 45वां पृथ्वी दिवस यानि 22 अप्रैल का दिन है, विश्व के 192 देश पृथ्वी के प्रति आज अपना चिंतन ब्यक्त करेंगे… जीवन दायनी पृथ्वी पर हो रहे उथल पुथल के लिए हमें तय करना होगा हम जिस प्रकार का जीवनयापन कर रहे हैं, क्या उससे आने वाली पीढियां हमें माफ़ कर पायेंगी? विश्व की जनसँख्या आज 7 अरब के पार पहुँच चुकी है, अकेले भारत पर गौर करें तो 68 वर्ष पूर्व जब भारत आजाद हुवा था तब भारत की जनसँख्या मात्र 30 करोड़ थी जो आज बढ़ कर 130 करोड़ हो चुकी है और ये सरकारी आंकड़ा है…
निजी स्कूलों पर हिंसा के द्वारा मनमानी रोकना उचित नहीं
निजी स्कूलों की मनमानी पर आंदोलन और धरना सरकार के दबाव के लिए एक रास्ता दिखता है पर जिस तरह से निजी स्कूलों पर छात्र संगठन अपनी मनमानी कर रहे है वह कितना उचित है | निजी स्कूलों द्वारा फ़ीस कम करने के लिए स्कूलों पर हिंसक व्यवहार करना क्या उचित है, जिस तरह से स्कूल कालेज मनमानी फ़ीस उसूल रहे है उसको सही ठहराया नहीं जा सकता है परन्तु जब कोई संगठन हिंसक आचरण करता है तो उसको भी सही नहीं ठहराया जा सकता है |स्कूलों की फ़ीस रूपी मनमानी को रोकना अति आवश्यक है पर स्कूलों में तोड़…
निजी स्कूलो की मनमानी कब तक ?
उत्तराखण्ड राज्य बनने से अब तक विकास का पहिया जिस भी रफ़्तार से हो पर देहरादून में शिक्षा को लेकर पुरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनी है|उत्तर प्रदेश राज्य से अलग होने के बाद उत्तराखण्ड राज्य की जनता का सपना था की आम लोगो से जुडी सभी समस्या का समाधान आसानीपूर्वक हल हो सकेंगे लेकिन जिस प्रकार से निजी स्कूलो द्वारा अविभावकों की जेब पर प्रहार कर रहे है ऐसा उम्मीद को न थी| एक बार फ़िर देहरादून की अनेक संगठनो की एक जुटता से निजी स्कूली की फीस को लेकर उनकी मनमानी को रोकने के लिए सरकार…
श्री अमरनाथ जी यात्रा – आस्था का प्रतीक
जम्मू-कश्मीर में श्री अमरनाथ जी की पवित्र यात्रा हिन्दू तीर्थ यात्रियों की आस्था का प्रतीक है। यह यात्रा हर वर्ष सावन के महीने में शुरू होती है। देश के विभिन्न भागों से आए लाखों श्रद्धालु दक्षिण कश्मीर स्थित श्री अमरनाथ जी की गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से बने शिवलिंग की अराधना करते हैं। इस यात्रा का काफी महत्व है इसलिए यह जरूरी है कि प्रत्येक श्रद्धालु को यात्रा के इतिहास के बारे में सतही जानकारी हो। यात्रा के दौरान बालटाल और पहलगाम के रास्ते पवित्र गुफा तक जाने वाले मार्ग पर स्थित विभिन्न धार्मिक स्थलों की जानकारी लेना…
Epic Tv Channel- सिर्फ नाम नही , चैनल भी दुसरो से हटकर
वैसे तो आज कल रोज़ ही कोई ना कोई नया चैनल लोंच होने की खबर आती रहती है | आप और हम भी इन चैनलों की भीड़ से परेशान होने लगे है | क्यूंकि लगभग सभी चैनल्स उन्ही घिसी-पिटी परिपाटियो पर चल रहे | धारावाहिकों में हो रही वही एक दुसरे के विरुद्ध साज़िशे, वही सास-बहु सिरीयल | कभी कभी अलग-अलग चैनलों पर प्रसारित ऐसे धारावाहिकों को देखकर लगता है | आखिर इन्हें अलग चैनल बनाने की जरूरत ही क्यों पड़ी, जब दिखाना वही सब था | पर अब हम दर्शको के लिए एक नया चैनल आया है एपिक (EPIC)…
ताकि… ईमानदार अधिकारियो में ईमानदारी की लौ जलती रहे
ईमानदारी शब्द राजनीति क्षेत्र के साथ साथ सरकारी विभाग में शून्य के बराबर दिखता है| देश की राजनीति और राजनेता देश के विकास में अहम् योगदान रहता है परन्तु दुर्भाग्य है जिस देश में लाल बहादुर शास्त्री,सरदार बल्लभ भाई पटेल, इन्दिरा गांधी,अटल विहारी बाजपेई जैसे राजनेता हुए उसी देश में अब की राजनीति और राजनेता पहले की राजनीति और राजनेता से इतने भिन्न लगते है जिसकी कल्पना आज की युवा पीढ़ी नहीं की थी| इन सबका तात्यपर्य आज के राजनेता जिस तरह से ईमानदार आधिकारियो का तबादला कर रहे उससे देश और देश के अधिकारियो में क्या सन्देश देना चाहते…
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना- युवा सशक्तिकरण की नई दिशा
किसी भी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कौशल और ज्ञान दो प्रेरक बल हैं। वर्तमान वैश्विक माहौल में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुख्य चुनौती से निपटने में वे देश आगे हैं जिन्होंने कौशल का उच्च स्तर प्राप्त कर लिया है। किसी भी देश में कौशल विकास कार्यक्रम के लिए मुख्य रूप से युवाओं पर ही जोर होता है। इस मामले में हमारा देश अच्छी स्थिति में है। जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा उत्पादक आयु समूह में है। यह भारत को सुनहरा अवसर प्रदान करता है, परंतु एक बड़ी चुनौती भी पेश करता है। हमारी अर्थव्यवस्था को इसका लाभ…