जरूरतमंद बच्चों के लिए मसीहा हैं सिपाही विकास कुमार
5 गांवों में गरीब बच्चों का भविष्य बना रहे उज्ज्वल
सहारनपुर | सहारनपुर के गांव कुरलकी खुर्द के रहने वाले सिपाही विकास कुमार पुलिस में भर्ती होने से पहले गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगाते आ रहे हैं | 2014 से विकास कुमार ने अपने गांव में ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया जो गरीबी के चलते स्कूलों में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे | वह किताबों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे या ऐसे बच्चे जो पढ़ने के बाद ट्यूशन का खर्च उठाने में सक्षम नही थे | उन्होंने इस मुहिम के जरिए ऐसे बच्चों को अपने साथ जोड़ा जो पढ़ना चाहते थे पर स्कूल नहीं जा पा रहे थे | धीरे-धीरे इन बच्चों की संख्या बढ़ने लगी तो उन्होंने फिर ऐसे लोगों को तलाश किया जो उनके जैसे हो और बच्चों को पढ़ाने में रुचि रखते हो | 2016 में विकास कुमार शिक्षा की अलख जगाते जगाते पुलिस विभाग में भर्ती हो गए लेकिन उनका यह गरीब बच्चों को शिक्षा देने का जज्बा कम नहीं हुआ | उन्होंने अपनी ड्यूटी को पूरी ईमानदारी से अंजाम देते हुए बाकी बचे समय में बच्चों को शिक्षा देने का कार्य लगातार जारी रखा | पुलिस विभाग में भर्ती होने के बाद विकास कुमार की पहली पोस्टिंग बिजनौर जनपद में हुई | उनको कोतवाली शहर की आवास विकास पुलिस चौकी पर तैनाती मिली | यहां पर काशीराम कॉलोनी होने के चलते काफी गरीब बच्चे ऐसे थे जो शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे | तब इन्होंने अपनी पढ़ाई की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए ऐसे बच्चों को बिजनौर में जोड़ना शुरु किया और करीब 30 से 35 बच्चे इनको ऐसे मिले और उन्होंने उन्हें पढ़ाना शुरू कर दिया | इसके साथ-साथ इन्होंने आस-पास के गांव में भी ऐसे बच्चों की तलाश की और धीरे-धीरे वो उन गांव में जाकर भी बच्चों को पढ़ाने लगे | सिपाही विकास कुमार का कहना है कि मेरा मकसद अधिक से अधिक गरीब बच्चों को शिक्षित बनाना है ताकि कोई भी गरीब बच्चा शिक्षा से वंचित ना रहे क्योंकि शिक्षा के बिना जीवन बेकार है | जिसके जीवन में शिक्षा नहीं होती उसका जीवन अंधकारमय हो जाता है | इसी बात को ध्यान में रखकर हम अपनी पूरी टीम के साथ अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं | फिलहाल बिजनौर में 5 गांव में हमारी पाठशाला चल रही है जबकि इसके अलावा पीलीभीत सहारनपुर बुलंदशहर मेरठ सहित उत्तराखंड के कई गांव में उनके साथ ग्रुप में जुड़े उनके साथी ऐसी पाठशाला चलाकर बच्चों को ज्ञान बांट रहे हैं |