कभी चराती थीं भैंसे, आज संभाल रहीं पूरा जिला, कैब ड्राइवर की बेटी बनीं आइएएस
तमिलनाडु | जिंदगी में हर किसी को सफलता आसानी से नहीं मिलती. कुछ लोगों को अपने सपनों तक पहुंचने के लिए संघर्षों की आग से गुजरना पड़ता है | तमिलनाडु की सी वनमती भी उन्हीं में से एक हैं | कभी भैंस चराने और घर के कामों में मदद करने वाली वनमती आज एक जिले की कलेक्टर हैं | सी वनमती एक साधारण परिवार से आती हैं. उनके पिता कैब ड्राइवर थे और घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी. गरीबी के कारण बचपन से ही उन्हें घर खर्च में हाथ बंटाना पड़ा. वह भैंसें चराने, घर के जानवरों को खाना खिलाने और कई छोटे-मोटे काम करने में लगी रहती थीं. हालांकि, इन सबके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कभी हार नहीं मानी सी वनमती एक साधारण परिवार से आती हैं | उनके पिता कैब ड्राइवर थे और घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी | गरीबी के कारण बचपन से ही उन्हें घर खर्च में हाथ बंटाना पड़ा. वह भैंसें चराने, घर के जानवरों को खाना खिलाने और कई छोटे-मोटे काम करने में लगी रहती थीं | हालांकि, इन सबके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कभी हार नहीं मानी सी वनमती एक साधारण परिवार से आती हैं | उनके पिता कैब ड्राइवर थे और घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी | गरीबी के कारण बचपन से ही उन्हें घर खर्च में हाथ बंटाना पड़ा, वह भैंसें चराने, घर के जानवरों को खाना खिलाने और कई छोटे-मोटे काम करने में लगी रहती थीं | हालांकि, इन सबके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कभी हार नहीं मानी | वनमती को बचपन से ही पढ़ाई का बहुत शौक था, लेकिन आईएएस बनने का सपना उन्हें तब आया, जब उन्होंने अपने शहर की कलेक्टर को एक महिला के रूप में देखा | इस बात ने उनके मन में यह सोच भर दी कि अगर वह महिला कलेक्टर बन सकती हैं, तो मैं क्यों नहीं? इसके अलावा, एक टीवी सीरियल में लीड एक्ट्रेस को आईएएस अफसर के रोल में देखकर उनका इरादा और भी मजबूत हो गया | सी वनमती ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की, लेकिन सफर इतना आसान नहीं था | उन्होंने कई बार असफलता का सामना किया, लेकिन हार नहीं मानी |दिन-रात मेहनत करके आखिरकार 2015 में यूपीएससी परीक्षा में 152वीं रैंक हासिल की | यह उनकी मेहनत, धैर्य और दृढ़ निश्चय का ही नतीजा था कि वह आज आईएएस अफसर बनकर देश की सेवा कर रही हैं | सी वनमती की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने सपनों को छोड़ने के बजाय, उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करना चुनते हैं |