प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर करेंगे बड़ा जनसंघर्ष – कमला पंत
उत्तराखंड महिला मंच की केन्द्रीय संयोजक श्रीमती कमला पंत ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था के सुधार एवं अंग्रेजी स्कूलों की लूट के खिलाफ एक व्यापक बड़ा जन संघर्ष शुरू करने का निर्णय लिया है | उन्होंने प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस से लेकर कोपी-किताबो तक की खरीद पर हो रही मनमानी पर मुख्यमंत्री हरीश रावत को एक खुला पत्र लिखा है,
उस पत्र को हुबहू नीचे पोस्ट किया जा रहा है पढ़े पत्र में क्या है ख़ास बाते –
सेवा में,
माननीय श्री हरीश रावत
मुख्यमंत्री, उत्तराखंड शासन |
आदरणीय श्री रावत जी,
जनभावना व जनहित के मुद्दों पर ना केवल आपकी समझ है, वरन सम्वेदनशीलता भी है, जिसे आप समय समय पर बखूबी व्यक्त भी करते है | आप इस बात को भी अच्छी तरह से समझते है की राज्य गठन के बाद इन 14 वर्षो में सरकार की ताकत, वास्तव में व्यवहार में तो पूरी तरह से सरकार के टॉप ब्यूरोक्रेसी व सचिवालय तक केन्द्रित हो चुकी है | जिन्हें राजनेताओ से लेकर सरकार के सम्पूर्ण विभागीय तंत्र को भ्रष्ट कर पाने में पूरी माहारत हासिल हो चुकी है | इसीलिए राज्य आन्दोलन के जन मुद्दे आज हासिये पर जा चुके है | आपकी सरकार भी इन मुद्दों पर कुछ मजबूत निर्णय लेने या इनपर गंभीरता से कोई प्रभावी कार्यवाही को अंजाम देने में असमर्थ रही है, सिवाय राजनेतिक हित साधने के | आपके द्वारा भी, कुछ भी कारगर नही हो पा रहा है और भ्रष्टचार चरम पर है |
महिलाए जो आज भी उत्तरखंडी जन मुद्दों पर संघर्षरत है, के साथ हमारा एक प्रतिनिधिमंडल अपने निजी फायदे नुकसान को लेकर नही, वरन उत्तराखंड की महिलाओं व आम जन के मुद्दों को लेकर आपसे मिला था| हमने आपसे अनुरोध किया था की सभी सरकारे शराब से कमाई के खातिर, महिलाओं की सबसे बड़ी पीड़ा को नजरअंदाज करती रही है, पर ऐसा न करें | इसके लिए हमने एक बहुत व्यवहारिक सुझाव भी प्रस्तुत किया था | मुज्जफरनगर कांड के अपराधियों को सज़ा दिलवाने हेतू सरकार की सक्रियता व देहरादून वासियों को भीड़,शान्ति, भय, व असुरक्षा से बचाने के लिए देहरादून से राजधानी को हटाने का भी हमने निवेदन किया था | राज्य आन्दोलन कारियों को सम्मान सुविधा देने के नाम पर उन्हें निहित स्वार्थी बनाकर दिखाकर उनको अपमानित करने का राजनितिक षडयंत्रकारी खेल बंद करके, जिसको जो हक़ बनता हो, सरकार उसे स्वयं दिलाना सुनिश्चित करें और इसमें चल रही दलाली व भ्रष्टचार को रोकने की बात भी हमने रखी थी | हमने आपसे पहाडो में बड़ी परियोजनाओं की जगह छोटी छोटी परियोजनाओं का जाल बिछ जाए, इसके लिए सघन प्रभावी कदम उठाने का अनुरोध भी किया था | ताकि पहाड़ो से पलायन रुक सके | हमे दुःख है की आपने मुद्दों के प्रति गम्भीरता प्रदर्शित करने और साकारात्मक कार्यवाही के आश्वासन के बावजूद इतने महीनों के बाद भी आज तक किसी भी मुद्दे पर कंही कोई कार्यवाही शुरू नही की है | इससे उत्तराखंड की निस्वार्थ आंदोलनकारी मातृशक्ति के मन में आपके ऐसे उपेक्षात्मक रवैये के प्रति क्षोभ व आक्रोश है |
उक्त के साथ, मैं इस पत्र के जरिये देहरादून व राज्य के अन्य शहरो और कस्बो में शिक्षा के नाम पर अंग्रेजी स्कूलों की लूट और सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की और आपका ध्यान आकृष्ट कर रही हूँ | मैं यह भी स्पष्ट व आगाह कर देना चाहती हूँ की इस ओर आपने यदि प्रभावी कदम ना उठाये तो व्यापक आन्दोलन छेड़ा जाएगा क्युकी शिक्षा की दुर्दशा व अंग्रेजी स्कूलों की लूट से आम जनता बेहद त्रस्त है | यह स्पष्ट संकेत मिल रहे है की यह प्राइवेट अंग्रेजी स्कूल इस वर्ष फिर नया शिक्षा सत्र लागू होते ही 10% से 20% तक फ़ीस बढ़ाना तय कर चुके है | मासिक फ़ीस के आलावा अलग-अलग मदों व आयोजनों के नाम पर अभिभावकों से समय-समय पर भारी पैसा ऐंठना और प्रवेश के समय डोनेशन के नाम पर भारी लूट इनका व्यवसायिक हुनर है | सरकार के कोई भी नियम कानून से यह ऊपर है | विभाग को यह कुछ नही समझते है क्युकी सरकार में इनकी बहुत ऊँची पहुच है | पर इनकी यह लूट अब बर्दास्त से बाहर होती जा रही है | अंग्रेजी और अंग्रेजियत को ही शिक्षा का मापदंड मानने वाली प्रदेश की सर्वोच्च अफसर शाही, शिक्षा अभियानों के जरिये प्रशिक्षनो व् सुविधा प्रदान करने के नाम पर पैसो की बन्दर बाट करके और बच्चो को दाल-भात खिलाकर, शिक्षा संचालन की इतिश्री समझ ले रही है | यह वजह है प्रदेश में शिक्षा की दुर्दशा का | इसी कारण ही अंग्रेजी स्कूलों की लूट भी पनप रही है |
सरकारी स्कूलों की होती जा रही दुर्दशा को देखकर आपके शिक्षा मंत्री जी को इतना तो समझ में आखिर आ ही गया की इस दुर्दशा के पीछे कारण इन विद्यालयों का सिर्फ गरीब असहाय लोगो के बच्चो का विद्यालय होकर रह जाना है | अतः उन्होंने सरकारी अध्यापको को अपने बच्चो को सरकारी स्कूलों में भेजने का फरमान तो जारी कर दिया पर अब सरकार बिलकुल मौन होकर बैठ गयी है शायद इसलिए क्युकी शिक्षक संघो , कानून विदो व शिक्षाविदो का भी यही कहना है की यह व्यवस्था सभी मंत्रियों, सचिवो व विभागाध्यक्षो से लेकर सभी सरकारी अधिकारियो व कर्मियों के लिए समान रूप से लागू होनी चाहिए |
शिक्षाविद ही नही सभी शिक्षक और यंहा तक की एक आम आदमी भी यह बात भली भांति समझता है की जब सभी विभिन्न आर्थिकवर्ग के सभी परिवारों के बच्चे इन विद्यालयों में एक साथ शिक्षा ग्रहण करेंगे तो यह विद्यालय अपने आप ही उत्कृष्ट बन जायेंगे क्युकी तब सभी को इनकी फ़िक्र रहेगी और इन विद्यालयों के शिक्षक सर्वाधिक शिक्षित व प्रशिक्षित तो है ही | अतः प्रदेश में सभी बच्चो को उत्कृष्ट शिक्षा उपलब्ध हो सके, इसके लिए कॉमन स्कूल सिस्टम जो सभी विकसित देशो में लागू है को अपनाने की दिशा में उक्तवत निर्णय शीघ्र अतिशीघ ले |
उक्त के साथ ही अभी तत्काल अंग्रेजी स्कूलों की मनमानी व लूट से लोगो को बचाने के लिए कड़े प्रभावी कदम उठाये जाए | आपसे अनुरोध है की –
- तत्काल इन स्कूलों को इस आगामी सत्र में फ़ीस बढ़ाने से रोके जाने का शासनादेश जारी किया जाए तथा ली जाने वाली फ़ीस का औचित्य निर्धारण भी कराया जाए |
- स्कूलों के द्वारा प्रवेश के समय डोनेशन की मांग को अपराध घोषित किया जाए |
- छात्र प्रवेश के समय केवल सिक्योरिटी व परीक्षा शुल्क के आलावा कोई अन्य शुल्क ना लिया जाए |
- किसी भी अन्य तरह के खर्चे के लिए अभिभावकों को बाध्य ना किया जाए | ऐसी व्यवस्थाओ को कड़ाई से लागू कराया जाए |
आपको ये खुला पत्र में इसलिए जारी कर रही हूँ की कंही जिस तरह से हमारे पूर्व अनुरोध के प्रति आपने उपेक्षात्मक भाव प्रदर्शित किया,उसी तरह से आप इसे भी हल्के में ना ले | शिक्षा के नाम पर अभिभावकों की लूट को तत्काल बंद करने व राज्य में शिक्षा की दुर्दशा को सुधारने की दिशा में यदि उक्त वक्त अपेक्षित कड़े कदम नही उठाये तो जन-जन तक इसके लिए संघर्ष तेज़ कीया जाएगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी आपकी व आपकी सरकार की ही होगी | आशा एवं कामना करती हूँ त्वरित अपेक्षित कार्यवाही करके आप ऐसी नौबत ना आने देंगे |
सादर
कमला पंत ( उत्तराखंड महिला मंच )