राष्ट्रपति ने जारी की राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिसूचना
सरकार ने उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए आज राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 और संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 को अधिसूचित किया।
‘संविधान (121वां संशोधन) विधेयक, 2014’ और ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014’ नामक दो विधेयक 13 अगस्त, 2014 को लोकसभा में और 14 अगस्त 2014 को राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गए थे। इसके बाद इन विधेयकों का अनुमोदन निर्धारित संख्या में राज्य विधानसभाओं ने कर दिया और फिर इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी इन्हें मिल गई। ‘संविधान (121वां संशोधन) विधेयक, 2014’ को संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम का रूप दिया गया, जबकि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 को 31 दिसंबर, 2014 को भारत के राजपत्र में प्रकशित किया गया।
यह तय हुआ था कि दोनों ही अधिनियम उस दिन प्रभावी होंगे जिस दिन केंद्र सरकार उन्हें सरकारी राजपत्र में अधिसूचित करेगी।
तदनुसार, संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए केंद्र सरकार ने 13 अप्रैल, 2015 को वह तिथि तय की, जिस दौरान यह अधिनियम प्रभावी होगा।
इसी तरह ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014’ (2014 का 40) की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए केंद्र सरकार ने 13 अप्रैल, 2015 को वह तिथि तय की, जिस दौरान यह अधिनियम प्रभावी होगा।
संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 में प्रस्तावित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) की संरचना एवं कामकाज का जिक्र है।
उपर्युक्त अधिनियम में ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ द्वारा उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के चयन के लिए एक पारदर्शी एवं व्यापक आधार वाली प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। पूर्ववर्ती कॉलेजियम प्रणाली की तरह ही ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ के अध्यक्ष भी भारत के मुख्य न्यायाधीश ही होंगे। ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ के सदस्यों में उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री, भारत के प्रधानमंत्री की कमेटी द्वारा मनोनीत दो जाने-माने व्यक्ति, भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता अथवा विपक्ष का नेता न होने की स्थिति में लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल होंगे। ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ की संरचना को समावेशी बनाने के मकसद से इस अधिनियम में यह कहा गया है कि एक जाने-माने व्यक्ति को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्गों, अलपसंख्यकों अथवा महिलाओं के वर्ग से मनोनीत किया जाएगा। ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ अपने नियम खुद ही तैयार करेगा।