सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा के लिए दोषी कौन ?
हम सबके घरो के आस-पास कोई न कोई सरकारी विद्यालय या प्राइमरी विद्यालय तो होगा ही, परन्तु शायद ही मतदान करने के लिए मतदान दिवस के सिवा हम सबने उसकी तरफ देखा होगा, क्लेमेंट टाउन क्षेत्र में करीबन 15 से ज्यादा सरकारी विद्यालय अथवा प्राथमिक विद्यालय है, लेकिन इन सबकी हालत देख कर लगता है, कि सरकार ने कोई योजना ही ना बनाई हो, सरकारी विद्यालयों के लिए | लेकिन गूगल करने पर पता चला, की सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मिल, शिक्षा का अधिकार जैसी योजनाओं पर हजारो करोड़ रु. खर्च हो चुका है, और ऐसा नही है कि सारा पैसा खराब हो रहा है, काफी जगह स्थितियों में सुधार भी हुआ है | लेकिन वो सब वंहा के टीचिंग स्टाफ और बच्चो की कड़ी मेहनत से हुआ है |
हमेशा से यही मानना है, कि यदि कुछ भी सुधर करना है, तो हम सब को ही करना होगा, क्योंकि सरकार योजनाए बनाती है, और लगभग सभी एक से बढकर एक होती है | लेकिन उसका इम्प्लीमेंट नही होता, लेकिन यही तो जरूरी है, कि सभी योजनाये लागु हो | अब यंहा पर भी फिर व्ही यक्ष प्रश्न है, की यदि योजनाए लागू नही हो रही है, तो कौन वो जिम्मेवार व्यक्ति है, जिसको हम बोल सके, की बोस, आपने ये कम क्यों नही कीया | परन्तु सरकार के चक्र में पड़ना बेकार लगता है, हम सभी को ही आखिर गलती निकालने में जो मज़ा है, वो उस समस्या के समाधान के लिए कार्य करने में नही, पर यंहा पर ये ध्यान देने योग्य है, कि यदि “आप समस्या का समाधान नही है, तो आप स्वयं समस्या है |”
अब चलिए विषय पर आते है, कि सरकारी विद्यालय की दुर्दशा के लिए दोषी कौन है ? तो चलिए एक छोटा सा प्रश्नोतर का खेल कर लिया | मैं कुछ सवाल देता हूँ, आप जवाब दे, खुद को, तो पहला सवाल क्या आप इन विद्यालयों में पढ़े है, यदि हाँ तो क्या आप अब इनमे अपने बच्चो की को पढ़ाना चाहोगे | अगला सवाल क्या आप ने कभी सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा के बारे में बात की है, यदि हाँ, तो सुधार के लिए क्या किया है ? अगला सवाल, क्या आपने कभी ये जानने का प्रयास किया, की दुर्दशा के लिए जिम्मवार कौन है ?
चलिए अब सवाल-जवाब समाप्त, शायद आपको पता चला होगा, कि नागरिक कर्तव्य हम सब निभाले, तो हम जगह राम-राज्य होगा | भारत बेकार देश है | कभी न कभी बोला या सूना होगा | लेकिन मेरे अनुसार भारत कोई व्यक्ति विशेष नही है, हम सब से मिलकर ही बना है | हम सबको अपनी पंहुच का गुमान है, लेकिन ‘पंहुच’ को योजनाओं को लागू करने में प्रयोग करें, तो ही तब दुर्दशा सुधरेगी, इस पर लेख का विषय यह, क्योंकि यही मुद्दा चल रहा – और हम काम भी इसी पर करने वाले है |
sahi baat hai , hum logo ko sath milke work karna hai