अटल आयुष्मान योजना के मरीजों से अवैध वसूली पर होगी कार्यवाही
देहरादून । अटल आयुष्मान योजना के मरीजों से किसी भी प्रकार की अवैध वसूली करने पर सम्बन्धित अस्पताल की सम्बद्धता समाप्त करनेे केे साथ ही उसके अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराया जा सकता हैै। यह बात अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन कोे उपलब्ध करायी गयी सूचना से प्रकाश में आया हैै। काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड शासन के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के नियम शर्तोें सहित विभिन्न सूूचनायें मांगी थी। इसके उत्तर में अटल आयुुष्मान उत्तराखंड केे टाण्डा लखौैण्ड, सहस्त्रधारा रोेड, देेहरादून स्थित कार्यालय केे लोेक सूचना/प्रशासनिक अधिकारी पूूनम चन्दल ने अपनेे पत्रांक 559 से सर्विस लेविल एग्रीमेंट की फोेटोे प्र्रति सहित आयुष्मान सेे संबंधित सूचनायें उपलब्ध करायी हैै। श्री नदीम को उपलब्ध 218 पृृष्ठोें के सर्विस लेविल एग्रीमेंट मेें इस योजना सेे सम्बन्धित नियम शर्ताें की विस्तृत जानकारी दी गयी हैै। इसके पृृष्ठ 178 पर अस्पतालों द्वारा किये जानेे वाले अपराध के दंडों का विवरण हैै। इसमें प्रमुख रूप सेे 5 अपराध दियेे गये हैै। इसमें प्र्रथम लाभार्थी से अवैैध धन प्राप्त करना है, जिसके लियेे प्रथम अपराध पर पूरा धन वापसी के साथ-साथ अवैध भुुगतान की तिगुुनी धनराशि के मुुआवजेे की सजा होगी। इसकेे अतिरिक्त दूसरी बार सम्बन्धित अस्पताल द्वारा यही अपराध करने पर प्रथम अपराध वाली सजा केे अतिरिक्त सम्बन्धित केस का क्लेम भी निरस्त कर दिया जायेेगा। तीसरी बार यह अपराध करने पर अस्पताल की सम्बद्धता समाप्त करके/ब्लैक लिस्ट करनेे का दंड दिया जायेेगा। नदीम जो कानून विशेषज्ञ भी है, ने बताया कि यदि किसी अस्पताल की सम्बद्धता समाप्त हो जाती है या उसेे निलम्बित कर दिया जाता है तो भी आयुष्मान योजना के अन्तर्गत इलाज किये गये मरीजों से कोई खर्च नहीं वसूूला जा सकता हैै औैर न ही उनके किसी दस्तावेज आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड आदि को बन्धक बना कर रखा जा सकता हैै औैर न ही आॅपरेेशन आदि के बाद फाॅलोे अप इलाज करनेे सेे इंकार किया जा सकता हैै। इसकी शिकायत अटल आयुुष्मान उत्तराखंड योजना के कार्यालय के पते या ईमेल पर भी की जा सकती हैै। इसके अतिरिक्त इसके लिये धारा 384, 417 व 420 के अन्तर्गत फौैजदारी मुुकदमा दर्ज कराया जा सकता है तथा उपभोेक्ता फोरम में भी वाद दायर किया जा सकता हैै।