आईएमए पीओपीः 347 कैडेट बने भारतीय सेना का हिस्सा
देहरादून। भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होकर 347 जांबाज अफसर भारतीय सेना का अंग बन गए। इस साल मित्र राष्ट्रों के 80 कैडेट्स भी पासआउट हुए। उपसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अन्बु करीब साढ़े नौ बजे परेड स्थल पर पहुंचे और परेड की सलामी ली। इसके बाद बहादुर कैडेट्स को पुरस्कृत किया गया। आईएमए गीत पर चेटवुड बिल्डिंग के सामने ड्रिल स्क्वायर पर कदमताल करते हुए 427 जेंटलमैन कैडेट्स अंतिम पग पार कर सेना में अफसर बन गए। इस दौरान इन कैडेट्स पर हवाई पुष्प वर्षा की गई। दो साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद ये युवा भारतीय सेना में अफसर बनते हैं। इनके साथ 80 विदेशी जीसी भी शामिल हैं। जैसे ही जीसी ने अंतिम पग पार किया, आईएमए के इतिहास में देश को 61,077 अफसर देने का रिकॉर्ड जुड़ गया। इसमें 2182 विदेशी जेंटलमैन कैडेट्स भी शामिल हैं। इस दौरान इन युवा अफसरों के परिजन भी आईएमए में मौजूद रहे। सुबह 08 बजकर 55 मिनट पर मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ। कंपनी सार्जेट मेजर अरविंद, मनीष कुमार, हितेष चंदा, संजय पंत, ठाकुर हर्षवर्धन, अहंतम, राहुल सिंह व बृजेश पाल सिंह ने ड्रिल स्क्वायर पर अपनी-अपनी जगह ली। इस दौरान कमाडेंट ले जनरल एसके झा, डिप्टी कमान्डेंट मेजर जनरल जेएस नेहरा सहित कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी व सेवानिवृत्त अधिकारी मौजूद रहे। अर्जुन ठाकुर को स्वार्ड ऑफ ऑनर व स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। रजत पदक गुरवीर सिंह तलवार को दिया गया। जबकि, हर्ष बंसीवाल ने सिल्वर मेडल (टीजी) हासिल किया। कांस्य पदक गुरवंश सिंह गोसाल को मिला। सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट बिशाल चंद्र वाजी चुने गए। चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बैनर सैंगरो कंपनी को मिला। आईएमए में इस बार नई परंपरा की नींव रखी गई। यह पहली बार था जब अकादमी के असिस्टेंट एडजुटेंट मेजर अंगद सिंह व ड्रिल इंस्ट्रक्टर सूबेदार मेजर सुल्तान सिंह शेखावत भी परेड कमांडर के साथ ड्रिल स्क्वायर पर पहुंचे।