आज खुलेंगे विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट
देहरादून/बदरीनाथ। विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट सोमवार को खुलने जा रहे हैं। तड़के सवा तीन बजे से मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के साथ कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ठीक साढ़े चार बजे ब्रह्म मुहुर्त में भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। इसके साथ भगवान उद्धव जी और शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ मुख्य रावल भी बदरीनाथ पहुंच गए हैं। रविवार को भगवान बदरीनाथ विशाल की डोली बाल सखा उद्धव जी और खजांची कुबेर जी की डोलियों के साथ धाम पहुंच गई है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान की डोलियों के दर्शन किए। सैकड़ों की संख्या में भक्त डोली यात्रा के साथ धाम पहुंचे। डोली यात्रा बामणी गांव में लीला ढुङ्ग से होते हुए बदरीनाथ मंदिर पहुंची। भगवान कुबेर रविवार को बामणी गांव में नंदा देवी मंदिर में विश्राम करेंगे। वहीं उद्धवजी की डोली रावल के निवास में विश्राम करेगी। सोमवार तड़के भगवान कुबेर और उद्धव जी मंदिर में प्रवेश करेंगे। बदरीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी भुवन चंद उनियाल ने बताया कि सोमवार को ब्रह्म मुहुर्त में कपाट खुलने के साथ ही अगले छह माह तक भगवान की पूजा का अधिकार मनुष्यों को प्राप्त हो जाएगा। बताया कि रावल ईश्वर प्रसाद नम्बूरी की उपस्थिति में टिहरी नरेश के राजपुरोहित और बामणी गांव के प्रतिनिधि मंदिर का ताला खोलेंगे। रावल और धर्माधिकारी मंदिर में प्रवेश कर भगवान बदरीविशाल के घृत कंबल का अनावरण करेंगे। विशेष पूजा-अर्चना के बाद चार बजकर 30 मिनट पर भगवान के दर्शन किए जा सकेंगे। धाम में कपाट खुलने की तैयारियां लगभग पूरी हो गयी हैं। गेंदे और अन्य फूलों से मंदिर सजाया गया। करीब 15 कुंतल फूल बाहर से मंगाए गए हैं। मंदिर के आसपास का इलाका भी भव्य तरीके से तैयार किया गया है। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम को पृथ्वी पर भू-बैकुंठ भी कहा जाता है। भारत के चारधामों में एक उत्तर हिमालय में बदरीनाथ धाम को मोक्ष का धाम भी कहा जाता है। इस धाम की विशेषता यह है कि इसे सत युग में मुक्ति प्रदा, त्रेता में योग सिद्धिदा, द्वापर में विशाला ओर कलियुग मे बदरीकाश्रम नाम से पहचान मिली है।