आपदा से मृत्यु होने पर आश्रित को मिलेगी सरकारी नौकरी
आपदा में किसी परिवार के मुखिया या कमाने वाले सदस्य की मृत्यु होने पर आश्रित को सरकारी नौकरी देने के लिए सभी सम्भावनाओं पर विचार करते हुए अगली केबिनेट में इसका प्रस्ताव लाया जाए। आपदा में पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के लिए मुआवजा राशि को 1 लाख रूपए से बढ़ाकर 2 लाख कर दिया जाए। पूर्व में आपदा मद से दी जा रही 1 लाख रूपए धनराशि के अतिरिक्त 1 लाख रूपए मुख्यमंत्री राहत कोष से दिया जाएगा। आपदा प्रभावितों को अहेतुक सहायता राशि को 3800 रूपए से बढ़ाकर 5000 रूपए किया जाएगा। आपदा जैसी परिस्थितियों में धन की व्यवस्था तत्काल हो सके, इसके लिए आपदा कोष स्थापित किया जाएगा। गुरूवार को बीजापुर हाउस में आपदा प्रबंधन की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उक्त निर्देश देते हुए कहा कि आपदा के कारण राहत शिविरों में ठहराए गए बेघरों को जिला प्रशासन उपलब्धता के अनुसार किराए के मकानों में ठहराने की व्यवस्था करे। इन गांवों में पालतू पशुओं के आश्रय स्थल बनाए जाएं। पर्वतीय क्षत्रों में लोगों को परम्परागत छानियां बनाने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी ताकि बारिश में वैकल्पिक सुरक्षित आवास की व्यवस्था हो। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि हाल ही में पिथौरागढ़ व चमोली के गांवों में आपदा के बाद पुलिस प्रशासन का रेस्पोंस पहले की तुलना बेहतर था। फिर भी आगे इससे भी बड़ी आपदा की सम्भावनाओं को देखते हुए आपद राहत व बचाव की तैयारियां 5 गुना अधिक होनी चाहिए।एसडीआरएफ की 2 अतिरिक्त कम्पनियों को जल्द से जल्द गठित कर दिया जाए। एसडीआरएफ के पास भी कुछ धनराशि की व्यवस्था होनी चाहिए। जिलाधिकारी अधिक विचारशील बनें और छोटी व्यावहारिक बातों पर भी ध्यान दें। प्रत्येक जिले में आवास के लिए सुरक्षित भूमि चिन्हित की जाए। आपदा जैसी स्थितियों में जिलाधिकारियों को जिलों में हैड आॅफ डिपार्टमेंट की शक्तियां दी जाएं। एसडीआरएफ को आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए जाएं। वालंटियर्स कोर स्थापित की जाएं। बैठक में हाल ही में पिथौरागढ़ व चमोली के गांवों में आई आपदा के बाद राहत व बचाव कार्यों पर प्रस्तुतिकरण देते हुए सचिव आपदा प्रबंधन शैलैश बगोली ने बताया कि पिथौरागढ़ व चमोली अतिवृष्टि व भूस्खलन से अभी तक 20 मानव क्षति हुई है जबकि 11 लापता हैं। तीन लोग गम्भीर घायल हुए थे जिन्हें हेलीकाप्टर हल्द्वानी ईलाज के लिए लाया गया। एसडीआरएफ, राज्य पुलिस, जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, पीएसी, डीएमएमसी बचाव दलों ने संयुक्त रूप से बचाव कार्य किए। बचाव व राहत काम दिन रात संचालित किए गए हैं। राहत शिविरों में आपदा प्रभावितों को सुरक्षित ठहराया गया है,। वहां उनके भोजन, पानी आदि की व्यवस्था की गई है। अधिकांश मुख्य सड़कों को खोल दिया गया है।