आयोजन : कलश प्रतियोगिता में सरिता रही प्रथम
कलश प्रतियोगिता में शिल्पी द्वितीय, नीतू जैन तीसरे स्थान पर रही
देहरादून | पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व की विस्तृत जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी मधुसचिन जैन ने बताया कि आज शुभ अवसर पर जैन धर्मशाला में 108 मुनि श्री विबुध्द सागर जी एवम क्षुल्लक 105 श्री समर्पण सागर जी महाराज जी के परम् सानिध्य में प्रातः 6:30 अभिषेक,शांतिधारा, नित्य नियम पूजा,108 दिवसीय णमोकार महामंत्र विधान,साँय 35 मिनट णमोकार मंत्र का पाठ, बजे सामूहिक आरती एवम सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रंखला जैन मिलन प्रगति द्वारा कलश सजाओ फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता,थाल सजाओ प्रतियोगिता आयोजित की गयी जिसमे सभी महिलाएं दीपक थाल सजा के घर से लाई और थालो के साथ नृत्य कर आरती की। आयोजित कलश प्रतियोगिता के प्रथम विजेता जहाँ सरिता रही वही शिल्पी द्वितीय नीतू जैन तृतीय स्थान पर रही | शहर के अन्य मंदिरों में भी पूजा प्रक्षाल बड़े हर्षोल्लास और आनंद के साथ किया गया। जिसमें कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सभी श्रद्धालुओं ने अपने भक्ति भाव से पूजा अर्चना की। इस अवसर पर 108 श्री विबुध्द सागर जी एवं 105 क्षुल्लक समर्पण सागर जी ने पर्युषण पर्व के उत्तम क्षमा के प्रथम दिन अपने प्रवचन मे कहा कि क्रोध एक कषाय है। जो व्यक्ति को अपनी स्थिति से विचलित कर देती है। इस कषाय के आवेग में व्यक्ति विचार शून्य हो जाता है। और हिताहित का विवेक खोकर कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। लकड़ी में लगने वाली आग जैसे दूसरों को जलाती ही है, पर स्वयं लकड़ी को भी जलाती है। इसी तरह क्रोध कषाय के स्वरूप को समझ लेना और उस पर विजय पा लेना ही क्षमा धर्म है।मनीषियों ने कहा है कि क्रोध अज्ञानता से शुरू होता है और पश्चाताप से विचलित नहीं होना ही क्षमा धर्म है। इस अवसर पर जैन भवन मंत्री संदीप जैन, हर्ष जैन (महामंत्री)बआशीष जैन अर्जुन जैन (सयोजक) अमित जैन अजित जैन नरेश चंद जैन ममलेश जैन (संरक्षिका) शिल्पी पूनम उमा सुदेश सुनील अलका जैन (अध्यक्ष) आदि महिलाये उपस्थित रही।