इनसे सिखे : ऋषभ और आशु ने लॉकडाउन में की प्रकृति से दोस्ती
दो भाइयों ने उगाए कई तरह के पेड़ पौधे
देहरादून। जब नन्ने – नन्ने हाथ पौधों को रोपे और उनका लालन-पालन करें तो पौधे भी उन हाथों को अपना दोस्त समझते होंगे। खेलने कूदने की उम्र में कोई प्रकृति से इस प्रकार मोहित हो जाए कि सुबह शाम पेड़ पौधों से बाते करने लगे तो वाकई अचरज की बात है। यूं तो लॉकडाउन में सभी बच्चों ने घर पर खूब मस्ती की होगी। वीडियो गेम से लेकर मोबाइल इंटरनेट और न जाने क्या-क्या साधन मौजूद है आज बच्चों के लिए लेकिन वहीं किसी बच्चे का इस पर ध्यान ही न जाना और लॉकडाउन में अपने बगीचे में रम जाना सचमुच एक सुखद एहसास है। दरअसल लॉकडाउन में ब्रह्मावाला में रहने वाले दो भाइयों ऋषभ (11) और 9 वर्षीय आशु ने अपनी ही घर की छत को बगीचे की शक्ल देख कर उसमें कई तरह के पौधे उगाए हैं। यह उपलब्धि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान हासिल की। जिसमें उन्हें घर वालों का भी पूरा सहयोग मिला। जानकारी हो कि दोनों भाई देहरादून के जसवंत मॉडर्न जूनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्र हैं। ऋषभ 7वीं और आशु कक्षा तीन में पढ़ते हैं। कोरोना के चलते जब स्कूल बंद हो गए तो बच्चों के लिए यह समझना कठिन था कि या छुट्टी का समय है या फिर मौज मस्ती का या फिर पढ़ाई का समय है। इसके उलट दोनों भाइयों ने पौधों को लगाने की ठानी। उन्होंने छत को ही बगीचा बनाया और उसमें एलोवेरा, डेट पाम, करेला, लीची से लेकर भिंडी, टमाटर, खीरा, राजमा और मिर्च आदि जैसे कई अन्य पौधे लगाए हैं। वही आज कुछ पौधों पर फल सब्जी भी लग गए हैं। पूरी छत मानो एक कौशल युक्त किसान का खेत हो। जिसे देखकर उनके चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव साफ नजर आता है।