ईरान एवं भारत में है गहरा सांस्कृतिक सम्बन्धः डॉ पण्ड्या
हरिद्वार । ईरान के चिकित्सक, शिक्षाविदों का 21 सदस्यीय एक प्रतिनिधि मण्डल गायत्री तीर्थ शांतिकुंज पहुंचा। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र प्रो. फरसाद के नेतृत्व में यह दल भारतीय संस्कृति एवं योग को जानने के लिए आया है। उल्लेखनीय है कि ईरान के प्रो. फरसाद सन् 2009 में देसंविवि से ‘यौगिक साइंस एण्ड होलिस्टिक हेल्थ’ में एमएससी की डिग्री प्राप्त की है।प्रतिनिधियों से भेंट परामर्श के दौरान देसंविवि के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि भारत एवं ईरान का बहुत ही गहरा सांस्कृतिक सम्बन्ध है। इस रूप में भारत सदैव ही ईरान के साथ है। इस अवसर पर डॉ. पण्ड्या ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं योग पर ईरान दल का मार्गदर्शन किया। गायत्री परिवार प्रमुख डॉ पण्ड्या ने प्रतिनिधियों के विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए शाकाहार, योग एवं ध्यान में भोजन का प्रभाव, योग का सही अर्थ शारीरिक न होकर आत्मा और परमात्मा का मिलन, जीवन जीने की कला का प्रशिक्षण, आत्मिक शुद्घि के उपाय पर विस्तृत प्रकाश डाला।प्रो. फरसाद ने कहा कि देसंविवि से मैंने जो शिक्षा प्राप्त की है, उसका जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान है। मुझे फक्र है कि मैंने ऐसे शिक्षण संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है। मैं भारतीय संस्कृति एवं योग के प्रचार में भी जुड़ा हूँ। इसी क्रम में मेरे साथ आये आये ईरान के शिव, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सिरोन चैरिकी, डॉ. मरयम, एलहम, फतेमा, सिरोस, सहर जाफरी जैसे चिकित्सक, शिक्षाविद एवं उद्योग जगत से जुड़े प्रतिनिधियों ने भारतीय संस्कृति एवं योग सहित विभिन्न विधाओं को जाना है। सभी काफी प्रसन्न है। इस दौरान ईरान के प्रतिनिधियों ने देवसंस्कृति विवि एवं शांतिकुंज के विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों के अलावा दैनिक गतिविधियों- यज्ञ, ध्यान, सामूहिक भोजन प्रसाद ग्रहण किया। वहीं देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने देसंविवि, भारतीय संस्कृति, योग एवं युवा वर्ग के लिए किये जाने वाले रचनात्मक कार्यक्रमों से अवगत कराया।