उत्तराखंड क्रांति दल की अंदरूनी लडा़ई फिर सतह पर
देहरादून। राज्य के एकमात्र क्षेत्रीय दल उत्तराखंड क्रांति दल की अंदरूनी लडा़ई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ राज्य सियासी संकट से जूझ रहा है। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ हैए मामला कानूनी दांव पेंचों में उलझा हुआ है। तो वहीं एक बार फिर यूकेडी की अंदरूनी लड़ाई चुनाव आयोग पहुंच गई है। उत्तराखंड क्रांति दल के केन्द्रीय अध्यक्ष त्रिवेन्द्र सिंह पंवार ने भारत चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। पंवार ने आयोग को पत्र लिखकर काशी सिंह ऐरीए पुष्पेश त्रिपाठीए बीडी रतूड़ी और पंकज ब्यास की शिकायत करते हुए कहा है कि इन लोगों को समय.समय पर पार्टी ने निष्कासित किया गया है। और ये निष्कासित लोग यूकेडी नाम से अलग दल बनाकर पार्टी के चुनाव चिन्हए और झण्डे का अवैध तरीके से प्रयोग कर रहे हैं। जबकि निष्कासन के बाद दल का नाम या उससे मिलते जुलते नाम पर कोई भी राजनैतिक गतिविधियां करना संवैधानिक तौर से उपयुक्त नहीं है। त्रिवेन्द्र पंवार ने चुनाव आयोग से सवाल करते हुए कहा कि आपके यहां भी दल का विवाद नहीं है। आपने ही यह कहकर पुराना सीज चुनाव चिन्ह कुर्सी यूकेडी को आवंटित करने की बात कही है। और आपका जो निर्णय आया है उसमें कहीं इन व्यक्तियों के नाम नहीं है। लेकिन ये सभी सीधे तौर पर राज्य की जनता के बीच जाकर ये प्रचार.प्रसार कर रहें हैं कि कुर्सी चुनाव चिन्ह उन्हें आवंटित किया गया है। जिससे उत्तराखंड क्रांति दल की छवि जनता के बीच धूमिल हो रही है। पंवार की माने तो उल्टा पार्टी से निष्कासित लोग दल के चुनाव चिन्ह और झण्डें का प्रयोग करने पर उनके और उनके साथियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा रहें हैं। जिससे समाज में गलत संदेश जा रहा है। और दल की छवि धूमिल हो रही है। इस लिए निष्कासित लोगों के दल का नाम ,झण्डा, चिन्ह का प्रयोग करने से रोका जाना चाहिए। प्रदेश के सियासी समीकरणों को साधने के लिए पंवार भी पूरा जोर लगा रहें हैं। लेकिन बाजी तभी हाथ में आयेगी जब यूकेडी एक नाम से एक चुनाव चिन्ह के साथ एक झण्डे के नीचे मजबूती से खड़ी रहेगी। नहीं तो राजनीतिक लड़ाईयों का कभी अंत नहीं होता।