उत्तराखंड में प्लास्टिक बैन पर गंभीरता का अभाव
देहरादून | स्टिक के दुष्परिणामों, प्लास्टिक बैन की चुनौतियाों और इसके विकल्प को लेकर आयोजित गति टाॅक में वक्ताओं ने तमाम प्रयासों के बावजूद प्लास्टिक का इस्तेमाल कम न होने पर चिन्ता जताई। वक्ताओं को कहना था कि सरकारी स्तर पर किये जाने वाले प्रयासों के बावजूद प्लास्टिक अब भी पहले की तरह ही इस्तेमाल किया जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि बैन को क्रियान्वयन को लेकर और गंभीर होने ही जरूरत है। टाॅक में सरकार से अपील की गई कि वह इस दिशा में कड़े कदम उठाये, क्योंकि सरकार ही इस दिशा में निर्णायक और शुरुआती पहल कर सकती है, हालांकि वक्ताओं का यह भी कहना था कि यदि सरकार चाहे तो गैर सरकारी संगठन इस मामले में सरकार का सहयोग कर सकते हैं। वक्ताओं का कहना था की प्लास्टिक प्रदूषण को लेेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन वह इस स्तर की नहीं है, जिस स्तर से प्रदूषण बढ़ रहा है। टाॅक में प्लास्टि को लेकर रिड्यूस, रिफ्यूज और रिसाइकिल पर जोर दिया गया। यानी प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करना, उसे पूरी तरह इस्तेमाल करना छोड़ देना और उसे रिसाइकिल करना। वक्ताओं ने प्लास्टिक बैन रोड़ा बन रहे प्लास्टिक माफिया के खिलाफ एकजुट होने की भी जरूरत बताई गई। इसके साथ ही प्लास्टिक के विकल्प को लेकर भी वक्ताओं ने अपनी राय रखी। गति टाॅक में मुख्य रूप से उत्तराखंड शहरी विकास विभाग के अधीक्षण अभियंता रवि पांडेय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अमित पोखरियाल, यूएनडीपी के पर्यावरण विशेषज्ञ सुब्रतो, पंजाबी महासभा के जिलाध्यक्ष राजीव सच्चर, प्रमुख के परमजीत कक्कर, वेस्ट वाॅरियर के मैनेजर नवीन सडाना, कंसल्टेंट शालिनी काला ऊषा डंगवाल, परम रावत आदि ने अपने विचार रखे। गति फाउंडेशन के नीति विश्लेषक ऋषभ श्रीवास्तव ने प्लास्टिक बैन के कानूनी पहलुओं की जानकारी दी। गति फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने इस टाॅक का संचालन किया। टॉक के दौरान गति फाउंडेशन के प्यारे लाल, सूरज जैस्वाल, अहान चोपड़ा मौजद रहे।