उत्तराखण्ड के विकास में बैंक, राज्य सरकार के पार्टनर के तौर पर काम करें
देहरादून, उत्तराखण्ड के विकास में बैंक, राज्य सरकार के पार्टनर के तौर पर काम करें। कृषि, बागवानी, लघु व सूक्ष्म उद्योगों को ऋण स्वीकृति में प्राथमिकता दी जाए। कैंट रोड़ स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 52वीं बैठक को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य के विकास में बैंको का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा हैं। ऋण-जमा अनुपात में जिलावार विषमता निराशाजनक है। कृषि क्षेत्र को उचित महत्व नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार क्लस्टर आधारित खेती व उत्पादन आधारित खेती को बढ़ावा दे रही है। परंतु आंकडों से ऐसा नहीं लगता कि बैंको द्वारा इस क्षेत्र में सुधार किया गया हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलावार ऋण-जमा अनुपात में विभिन्नता तकलीफदेह है। कई जिलों का ऋण-जमा अनुपात वहां की सम्भावनाओं से काफी कम है। चम्पावत जिले में काॅटेज इंडस्ट्री व कृषि के क्षेत्र में पर्याप्त सम्भावनाएं हैं, परंतु यहां ऋण-जमा अनुपात केवल 29 प्रतिशत है। मैदानी जिलों में आपस में भी बहुत विषमता है। उधमसिंह नगर जिले में 97 प्रतिशत जबकि हरिद्वार जिले में 47 प्रतिशत ही ऋण-जमा अनुपात है। देहरादून जिले की स्थिति भी निराशाजनक है। पूरे राज्य का ऋण-जमा अनुपात केवल 43 प्रतिशत है। इसे सुधारने के लिए बैंको को गम्भीरतापूर्वक हल निकालना होगा। इससे सम्बन्धित लीड बैंको को अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में अपनी भूमिका निभाने में विभिन्न बैंको में आपस में भी काफी विषमता है। एसबीआई, पीएनबी व बीओबी का अपेक्षाकृत प्रदर्शन बेहतर रहा है। इन बैंको को अपना लक्ष्य कुछ और ऊंचा करना चाहिए। मुख्यमंत्री रावत ने सचिव वित्त को जिलाधिकारियों के साथ ऋण-जमा अनुपात सुधारने की योजना बनाने के निर्देश दिए।बैठक में सचिव एमसी जोशी, मुख्य महाप्रबंधक दिल्ली मंडल एसबीआई पल्लव महापात्रा, निदेशक आरबीआई आरएल शर्मा, सीजीएम नाबार्ड सीपी मोहन सहित राज्य सरकार व विभिन्न बैंकों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।