उत्तराखण्ड : शराब बन्दी को लेकर नारी शक्ति हुई एकजुट
साल बाद फिर मातृशक्ति की हुंकार उत्तराखण्ड में गूंज रही हैं। एक समय जब महिलाओं ने अलग राज्य के लिए मुट्ठियां तानीं तो अब वह युवा पीढ़ी के भविष्य की खातिर शराब के खिलाफ अडिक हैं। हाईवे से हटाई जा रही शराब की दुकानें गली-मोहल्लों व गांवों में शिफ्ट करने को चल रही कवायद से महिलाएं आक्रोशित हैं। लाठी-डंडे लेकर गांव में शराब की दुकान खोलने का विरोध कर रही पहाड़ से मैदान तक सड़कों पर उतरी महिलाएं धरना-प्रदर्शन के माध्यम से भी इसका विरोध कर रही है । पिछली सदी से अब तक के सफर पर नजर डालें तो यह पहला मौका नहीं, जब महिलाएं शराब के खिलाफ आगे आई हैं। इस उम्मीद से किउत्तराखंड को शराबमुक्त करने के लिए सरकार कोई न कोई पहल जरूर करेगी। विषम भूगोल वाले उत्तराखंड के सामाजिक, आर्थिक ताने-बाने को शराब ने गहरे तक प्रभावित किया है। खासकर पहाड़ की रीढ़ कही जाने वाली मातृशक्ति इससे सर्वाधिक प्रभावित रही है। यही वजह भी है कि महिलाएं शराब के खिलाफ हमेशा ही सामने रहीं ।