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एक डरा हुआ पत्रकार लोकतंत्र में मरा हुआ नागरिक पैदा करता है : रविश कुमार

ravish-kumar

पटियाला हाउस कोर्ट में मारपीट की घटना पर मुख्य न्यायाधीश के नाम रवीश कुमार का खुला पत्र

आदरणीय भारत के प्रधान न्यायाधीश, मुझे उम्मीद है कि पटियाला हाउस कोर्ट में पत्रकारों, वकीलों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की घटना से आपका नागरिक और न्यायाधीश मन व्यथित हुआ होगा। हमारी अदालतें हवा में ज़हरीले कार्बन कणों की मात्रा को भांप लेती हैं और सभी संस्थाओं को खड़का लेती हैं। वैसी संवेदनशील अदालतों पर भरोसा न करने का कोई कारण नहीं बनता कि लोकतंत्र की हवा ख़राब होते ही उन्हें फ़र्क नहीं पड़ेगा। बल्कि आपकी संस्थाओं ने राजनेताओं और अकादमिक लोगों से ज़्यादा समय-समय पर लोकतंत्र के प्रति समझ को विस्तार दिया है। अदालतों के फ़ैसलों से लोकतंत्र की व्याख्या स्पष्ट ही होती गई है। पटियाला हाउस कोर्ट में वकीलों के समूह ने जो किया वो अदालतों की वर्षों की अर्जित उपलब्धि पर हमला है। बेहद चुनौतीपूर्ण समय में तमाम जजों ने लोकतंत्र के हक में लंबे-लंबे फ़ैसले लिखे, उनकी समझ और साहस की विरासत पर हमला हुआ है। पटियाला हाउस कोर्ट जैसी घटना से तय करना मुश्किल हो जाएगा कि जज कौन है। क्या वकीलों को इजाज़त है कि वे समूह बनाकर जज बन जाएं और जज से पहले अदालत परिसर के भीतर किसी को अपराधी या आतंकवादी साबित कर दें? क्या उन्हें अधिकार है कि माननीय अदालत के परिसर से लोगों को मार मार कर बाहर कर दें? इंसाफ़ होना ही नहीं चाहिए, होते हुए भी दिखना चाहिए। अगर कोर्ट में रिपोर्टर नहीं जाएंगे, लोग नहीं जाएंगे तो इंसाफ़ होते हुए कौन देखेगा। कौन बताएगा कि इंसाफ़ हुआ भी है।

रविश कुमार – पत्रकार

Comments
21 Responses to “एक डरा हुआ पत्रकार लोकतंत्र में मरा हुआ नागरिक पैदा करता है : रविश कुमार”
  1. nitin says:

    मिस्टर रविश कुमार पहले आप अपना माईक लेके जेएन्यु कॅंम्पस् जाईये और उन लोगों से पुहचीये की हीन्दुस्थान मे खाते, पिते, रहते हो तुमारी फॅमिली भारत माता के छाॅव मे रह रही है और उसी माता को गाली दे रहे हो,उसे तुकडे तुकडे करनेकी बात कर रहे हो पुचछो जाके।सारे देश का माहैाल बिघाड के रखा है।पटीयाला कोटॅ के बाहर पत्रकार को धक्का मारा तो पोहच गये माईक लेके।जिन्होंने ये माहैाल बनाया, बिघाडा ऊनको भी पुच्हनेकी हींमत रखीये साहब।

  2. स्वदेश कुमार says:

    मिस्टर रवीश कुमार सही कर रहे हैं।न्याय देने का काम न्यायालय का है, वकीलों का नहीं। ऐसा नहीं करना चाहिए।

  3. Jai says:

    Hi Ravish,

    What;s wrong with you. I was a great admirer of your reporting but from some time I think your journalism is also get biased or not transparent as it was earlier. I am regular
    viewer of your episodes but the image you try to portray in JNU is not any way different what you did in case of Malda (after coming from vacation). you are raising concern on on the chaos which is a reaction of what happened in JNU. You people are simply diverting the main issue. Keeping all the differences and personnel benefit aside, please try to uncover the truth and fact to your viewer.

  4. krishna upadhyaya says:

    आपने बिल्कुल सही कहा है रवीशजी

  5. mazher husain says:

    Sir being a youngester ……..
    Presentation of this conditions for student is very dangerous …
    U should try to display things which shows that if students are quite that don’t s means that they are handicapped ……
    The concern should not forget that their were same students who have mass participation in independents fight..

    More I have suggestions be oz I am a indian

  6. Dr Hari Ram says:

    इसके पहले जे एन यू और जाधवपुर विश्वविद्यालय की राष्ट्र विरोधी घटनाओं पर भी कुछ किया हो तो कृपया वह भी लिखिए

  7. आपने जो मुद्दा उठाया है वह न सिर्फ प्रासंगिक है बल्कि लोकतंत्र जीवित रहे; इसके लिए भी ज़रूरी है।राष्ट्रभक्ति की नयी परिभाषा गांधी जा रही है।विचार को विचार से नहीं बल्कि ताकत,वर्दी व बन्दूक के बल पर दबाने की घिनौनी कोशिश हो रही है।अदालती राय के पहले ही फैसला थोपा जा रहा है कि जेएनयू में राष्ट्रविरोधियों का जमावड़ा लगता है और यह विश्वविद्यालय देशद्रोहियों का केंद्र है।

  8. Satyen says:

    Aur ek bika hua patrakar loktantra mein maar khata hai

  9. Ritesh Kumar Das says:

    पिंपिछले कुछ दिनों से चल रहे घटनाओं से एक बात तो तय है की आगेदेश में संकट और गहन होने वाला है । वैसे शायद ये ताकत की परीक्षा किया गया है, रवीश जी । अगले कुछ साल देश के लिए बहुत भारी गुजरने वाले हैं।

  10. Vimal ji mishra says:

    अगर मान लेते हैं की वो देश को भला बुरा बोला?तो क्या सरकार को पुरे देश मे दो तीन दिन तक नौटंकी कर के,पुरे देश का माहौल खराब करके,पुरे दुनियाँ भर का तमाशा कर के,उनको फिर सरेआम घसीटना और विधायक के द्वारा गुंडे वाली व्यवहार क्या ये सब देश प्रेम है।सधारण बात है कोई अपराध करता है तो कानुन पताल से भी निकाल कर सजा देता है।सबसे बड़ा साजिश वैमनस्ता फैला कर रोटी सेंकने का काम स्वंय सरकार कर रही है।इतना अच्छा देश और आम जनता को तील का तम्बुरा बना के,सबके दिल मे जहर भरने का काम हो रहा है।इमानदार होते और ऐसा कुछ हुआ तो तुरंत बोलते भाई ये गलत बात है,किसी से कुछ नहीं पुछना था।सिधे गिरफ्तार ।पर दाल मे काला होगा तो,पुरे देश मे नफरत फैलाने का काम होगा।देश मे हवा हवाई के अलावा काम तो कुछ हुआ नहीं।भोले भाले जनता ने इनके बहकावे मे कुर्सी तो दे दिया । पर अब ये अन्दुरनी बातें जानते हैं,कि काम कुछ हुआ नहीं,चारौं तरफ चुनाव है,तो नफरत की नीती खेला जाय।जनता को क्या अभी तक तो लहर मे लहरा रहा है । पोल खुल जाएगा तो जनता खदेड़ के भगा देगा।ये सधारण बात को नहीं सम्भालना !राजनीती नही घाघनीती है।जनता आपस मे ना लड़े उलझे तो इनकी दाल नहीं गलेगी ।

  11. Kamlesh chandra katiyar says:

    “पत्रकारिता वही है जो दृष्टा बन परिस्थितियो का आकलन कर जनता को अवगत कराये। राजप्रासादी मानसिकता से पत्रकारिता नही की जाती। पत्रकारिता जब उधोग का रूप ले ले तो वह स्वतः आम जनता का विश्वास खो देगी।पत्रकारिता को भी राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिये किसी भी सरकार के राष्ट्रवादी कार्यो मे सहयोग की मानसिकता पैदा करनी होगी न कि असहयोग की।आज के समाज मे जनता के सम्मुख सत्य जानने के हजारो माध्यम है इस बात को भी आपको समझना होगा। और एक बात पत्रकार कभी भी डरा हुआ नही होता है।डर और पत्रकारिता मे व्युतक्रमानुपाती संबंध है ।”

  12. narottamswami says:

    It has now become very difficult to express views on any incident or occurrence presented by Tv channels or reported in the Press.As the fake and doctored videos in the matter of JNU incident has eroded the faith in the Reports and videos of Channels.Still it can be safely asserted that Lawyers or any body else have no right to beat alleged culprit of an offence ,however grave or serious it may be in the court premises.!who soever had broken the law by beating Kanhaiya and assaulting Channel Reporters must be dealt and punished according to Law.

  13. rakeshp says:

    Sab pagal ho gaye ho kya ravish ne jo kaha sahi h. Main ek law ka student hu aur ye bilkul galat h ki koi v adami pahle hi faisla krle ki kaun sahi h kaun galat. Court me judge h wo decide karenge. Court ke bahar decide karna to gunda gardi h. Aur ha kya decide karna h ki wo jo desh ke khilaf nara laga rahe h wo galat h aur wo v waha decide hoga jaha pr gunde bhare h. Are desh ki chavi achi hogi na jab koi court me aisi harkat karega.

  14. rakeshp says:

    Thoda akal lagao ki ye Jo log h ye kya nhi jante h ki agar aisa karenge to desh unke sath kya karegi. Jante h fir v karte h. Kuch to hua h jo aisa hal desh me ho raha h. Warna jab j& k me Pakistan ka flag lahraya gaya tha to kya ye desh ki Janata j& k ko kya alag manti thi ya sab namard ho gaye the aur achanak JNU wale me mard ho gaye. Aur ha ye v Jan lo ki ye wahi J& K h jaha BJP aur waha ki party ke sath sarkar bani h. Kya central govt kewal JNU ke liye bani h ya pure desh ke liye. Agar J& K me hi jawab diya hota to aj JNU me class chal rahe hote. Jara socha karo aise hi bolna to pagal hote h

  15. Sumit says:

    There was a time when Bengal’s people were known for fighting and giving there life for India’s independence and unity. Now there is generation of Bengali people and so called Aristotle’s who are fighting and shouting for dividing India and shaming sacrifices made by their ancestors. These people you go to any college or university will be seen either drinking or smoking weed and they have no respect for either there country, religion or its constitution. All these so called intellectuals will be seen standing with anti-Indian forces and say we are unique and we are free to abuse that our birth right. Some media houses are saying they are from poor family and they are targeted, my question is if you come from a humble background and know you are studying on tax payer money then why not study and do some good for your family or country rather than asking to divide India in multiple nations and do Neta Giri. If AISU and DSU students did not shout anti India slogans and were spectators then the question arises who in this world can hear abuses to his or her mother, India is our mother land and people will do anything to protect this nation and for saying so if they are labeled as Sangis or bhakts so be it in that cases all armed ex forces people, sportsperson and artists who are coming out against the these people are also sangis and bhakts. Stop doing politics in campus and do studies for what you came here on people’s (Not your earned money) money and if you have to do anti India activities as freedom of speech and do not like this country then why not peacefully leave this country and go to country where everything is according to you and is better than india and shout anti india slogans outside of this country. Jai hind

  16. sewa singh says:

    Ravish ji you are saying all right Savidhan ke anusar nayaa karna Judges da hai na ke lawers da jo lower ne kita hai eh politics to parbhawat hai ajeha nahi hona chahida

  17. abdul qadir says:

    Bjp is showing fake sedition on this..if bjp is such a patriotic then first they should com out with pdp in jammu kashmir bcoz pdp is the party who is raising voice for afzal guru. Bjp keeping alliance in jammu kashmir with pdp and here in delhi is showing sedition against afzal guru…this is absolutely double standard..hence bjp want to divot all economic matter where our sensex is struggling, farmers problem, mehngai, fdi corruption.

  18. digvijay says:

    Rabish ji ap k sabhi bato se mai sahamat hu lekin kya in logo ki jimedari nhi Tay Toni chahiye jo lo east virodhi nare laga the hai ap ye bataye mujhe

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