केदारनाथ में शवों की तलाश के काम कभी भी रोका नहीं है : रावत
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सभी आपदा प्रभावितों जिनके आवास क्षतिग्रस्त हो गए थे, को आवास उपलब्ध करवा दिए गए हैं। केवल 27 परिवार शेष हैं क्योंकि वे अपने लिए अधिक बेहतर स्थान की तलाश में हैं। करीब 2500 परिवारों का आश्रय उपलब्ध करवाया गया। हमने 2013 की आपदा में प्रभावितों को जितनी सहायता राशि व मुआवजा राशि प्रदान की है, ऐसी परिस्थितियों में पहले किसी भी राज्य द्वारा नहीं दी गई है। राज्य के विभिन्न स्थानों पर 50 हैलीपेड बनाए जा रहे हैं। केदारनाथ, लिन्चैली, भीमबली व गौरीकुण्ड में हैलीपेड तैयार किए जा चुके हैं। आज यात्रा मार्ग पर हमारी सड़कें पहले से भी बेहतर हैं। हम संकरी सड़कों के चैड़ीकरण व स्लाईडिंग जोन के उपचार पर फोकस कर रहे हैं। रोपवे निर्माण के लिए पृथक एजेंसी का गठन किया जा रहा है। पहली बार ट्रेकिंग रूट विकसित करने पर भी बल दिया जा रहा है। हम बेहतर उत्तराखंड निर्माण के लिए ठीक दिशा में काम कर रहे हैं। केदारनाथ में नरकंकाल मिलने की बात पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने शवों की तलाश के काम कभी भी रोका नहीं है। हमने कभी नहीं कहा है कि अब कोई कंकाल नहीं मिलेगा। केदारनाथ में 15-20 फीट तक का मलबा जमा है। वहां की अस्थिर स्थलाकृति इसे हटाने में आड़े आ रही है। परंतु आज जब स्थानीय लोगों में चेहरों पर सफल चारधाम यात्रा की खुशी लौटी है, ऐसी बातों को प्रचारित करना प्रदेश की आर्थिकी के लिए ठीक नहीं है। स्थानीय लोगों के साहस की बदौलत ही उत्तराखंड आपदा के झटके से उबरने में सफल हुआ है। आज भी 350 से अधिक गांवों का सुरक्षित स्थानों पर विस्थापन किया जाना है परंतु उत्तराखंड अपने संसाधनों से इसे करने में सक्षम नहीं है। इसमें केंद्र सरकार को राज्य की सहायता करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा को लेकर आरटीआई से जो तथ्य आए हैं, उनमें किसी व्यक्ति विशेष को इंगित नहीं किया गया है। इसीलिए मुख्य सचिव को इसकी जांच करने के निर्देश दिए गए है। यदि किसी के विरूद्व कुछ पाया जाता है तो कठोर कार्यवाही की जाएगी। आरोप प्रत्योरोपों की राजनीति से हटकर हमें अपनी ऊर्जा उत्तराखंड के विकास में लगानी चाहिए। योग दिवस के बाबत पूछे जाने पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हम राज्य में योग के अभियान के लिए पूरा ठोस एक्शन प्लान बना रहे हैं। सितम्बर माह में हम इसके लिए रोड़मैप प्रस्तुत करेंगे।