क्या भाजपा के पांचों सांसदो पर राज्यहित में बोलने पर प्रतिबंध लग रखा है : सुरेन्द्र कुमार
मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने सोमवार को प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा के प्रदेश शीर्ष नेतृत्व ने भाजपा के पांचों सांसदो पर राज्यहित में बोलने पर प्रतिबंध लगा रखा है। कुमार ने तीन आग्रह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से किये है। पहला तो प्रतिबंध शीघ्र वापस ले, ताकि पांचों सांसद संसद और संसद के बाहर राज्यहित में बोल सके। क्यों वे टीम इंडिया के कप्तान प्रधानमंत्री के समक्ष ऋषिकेश में उस प्रतिबंध के कारण राज्यहित की बात नही रख पाये थे। दूसरा आग्रह उन्होंने 28 फरवरी, 2015 को भारत के वित्त मंत्री अरूण जेटली के बजट भाषण को पढ़ने की सलाह दी है, जिसमें 24 परियोजनाओं में फंडिंग पैटर्न बदलने, 08 परियोजनाओं से केन्द्र के अपनी हाथ वापस खीचने से राज्य को लगभग 2500 करोड़ रुपये से अधिक की हानि हुई है। स्पष्ट उल्लेख किया गया है। 14वें वित्त आयोग से भी राज्य को वर्ष 2014-15 में सामान्य केन्द्रीय सहायता के रूप में 1530 करोड़ रुपये, विशेष केन्द्रीय सहायता के रूप में 700 करोड़ रुपये तथा विशेष केन्द्रीय प्लान सहायता के रूप में 350 करोड़ रुपये की हानि हुई है, जबकि 14वें वित्त आयोग से प्रति व्यक्ति लाभ मात्र 1292 और हिमांचल प्रदेश को 12413 का लाभ प्रति व्यक्ति हुआ है। उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष से एक आग्रह लगे हाथ यह भी कर डाला कि वे इन तथ्यों की जानकारी उनसे ईमेल के माध्यम से भी ले सकते है व उनसे उनकी फेसबुक पर फ्रेड रिक्वेस्ट या वाट्सऐप ग्रुप में शामिल होने का निवेदन भी यदि स्वीकार कर ले, तो बार-बार तथ्यों व साक्षयों के विपरीत बोलने से उनकी छवि को होने वाली हानि से बचा जा सकता है। वे उनकी ईमेल पर ये तमाम पर साक्ष्य उपलब्ध कराने को तत्पर है। क्योंकि कई ऐसे अवसर आये है कि भाजपा के नेतागण तथ्यों व साक्ष्यों के विपरीत बोलते रहे है। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष का बराबर का महत्व होता है और यदि विपक्ष महज तथ्यहीन आलोचना करता है, और यदि विपक्ष की गरिमा कम होती है, तो यह राज्यहित में कदापि नही है। वहीं उन्होंने नेताप्रतिपक्ष के पुलिस सब इंस्पेक्टरों की नियुक्ति व इंटरव्यू पर दिये गये बयान का विभिन्न दस्तावेजों के आधार पर जोरदार खंडन किया है, जिसमें दस्तावेजों के माध्यम से उन्होंने कहा कि 2003-04 में इस संबंध मंे बनायी गई प्रक्रिया के तहत जिसमें सेवा अवधि के 9 अंक, शैक्षिक योग्यता के 9 अंक, वार्षिक मंतव्य 30 अंक, पुरस्कार एवं उत्तम प्रविष्टियोें के 24 अंक, कोर्सेज एवं खेल के 17 अंक तथा साक्षात्कार के 10 अंक इस प्रकार से कुल 100 अंक निर्धारित किये गये है, के आधार पर ही होते रहे है। उपरोक्त प्रक्रिया को उच्च न्यायालय ने रिट याचिका 493/20014 में उचित पाया था। उन्होंने कहा कि तथ्यहीन असत्य आरोप लगाने से बचा जाना चाहिए। उपरोक्त नीति भाजपा शासनकाल में भी लागू थी।