खेल और खिलाड़ी बनाम सरकार और राजनेता
(अरुण कुमार यादव – सम्पादक )
किसी भी देश की पहचान उसके खेल से होता है और साथ ही साथ उस देश के खिलाड़ियों से होता है | जिस तरह से हमारे देश में क्रिकेट खेल अन्य खेलो पर हावी है यह कही न कही अन्य खेलो और उस खिलाड़ियों के लिए सही दिशा नही है | क्रिकेट में जहाँ रूपयों की बरसात होती है वही अन्य खेलो की तो दूर की बात उनके खिलाड़ियों के लिए प्रायोजक तक नही मिलते है | सहायता पर रही सही कसर देश के राजनेता पूरी कर देते है | कुछ खिलाड़ी ऐसे भी है जो ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता भी है लेकिन वर्तमान में आर्थिक रूप से इतना कमजोर हो चुके है की फुटपाथ पर समाग्री बेचते है जिससे वह आर्थिक तंगी को दूर कर अच्छे खेल से देश का मान ऊचा रख सके | हाल के सालो में खिलाड़ी सुशील कुमार के द्वारा कुश्ती के खेल को नई पहचान दिया वही बैडमिन्टन और टेनिस में सायना नेहवाल , सानिया मिर्जा ने परचम लहराया | ऐसे ही अनेको पहचान हर खेलो में मिल सकता है यदि सरकार खिलाड़ियों का हर क्षेत्र में सहयोग करे और प्रायोजकों का हाथ आगे बढे तथा साथ ही साथ खेल के संगठनो से राजनेताओ की छुट्टी हो |