खेल संगठनों में ना हो राजनीति का “फिक्स” खेल
सम्पादक – अरुण कुमार यादव
देश के हर क्षेत्र में नेताओ का प्रभुत्व बढ़ना किस हद तक सही है यहा हर क्षेत्र का मतलब खेल संगठन , कला संगठन से है | खेल संगठनो में क्रिकेट क्षेत्र की बात करे तो इस संगठन में अध्यक्ष पद पर मानो राजनीति दल से जुड़े नेताओ के लिए आरक्षित हो | क्रिकेट का सही ज्ञान तो दूर की बात क्रिकेट के सभी नियम तक मालुम नही होते है वह क्या एक अच्छे खिलाड़ियों के साथ इन्साफ दे सकते है जवाब नही का ही आएगा | प्रातिभा गुरु के चरण मागती है पर यहाँ तो राजनितिक चरण का खेल चलता आ रहा है | इसी तरह खेल के अन्य क्षेत्रो में दशा और दिशा लगभग यही ही है |इसी तरह कला के क्षेत्र में भी नेताओ का वर्चस्व कायम है यहा पर भी सर्वोच्च पद नेताओ के गिरफ्त में है | देश की सर्वोच्च न्याय पालिका इस पर हस्तक्षेप कर खेल और कला के क्षेत्र में सर्वोच्च पद पूर्व खिलाड़ियों एवम् बुद्धजीवी के लिए आरक्षित हो जिससे खेल में राजनीति ना हो कर अच्छे और प्रातिभा खिलाड़ियों एवम् कलाकारों का मार्ग प्राद्धस्थ हो सके | तभी देश एक लोकतांत्रिक देश की परिभाषा को समझा सकता है |