गाय को वेद शास्त्रों में माता का दर्जा प्राप्तः गोपालमणि
रुद्रप्रयाग । मुख्यालय के गुलाबराय मैदान में चल रही गो कथा के चौथे दिन कथा वाचक आचार्य गोपालमणि जी महाराज ने कहा कि गो माता भारतीय संस्कृति की मूल है। वेद शास्त्रों में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। यह अस्सी करोड़ भारतीयों के आस्था का प्रतीक है। इस देश में गाय का संरक्षण और संवर्धन किया जाय, इसके लिए सभी को एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। गोपाल गोलोक धाम की ओर से आयोजित गो कथा में आचार्य गोपालमणि जी महाराज ने कहा की भारतीय गाय को माता मानते हैं, जबकि सरकार उसे पशु समझती है। ऐसे में जब तक गो को राष्ट्र माता का दर्जा नहीं मिल जाता, तब तक उसका संरक्षण संभव नहीं है। आचार्य ने बताया कि गाय का गोबर दुनिया का सबसे उत्तम उर्वरक है। उसे रसोई गैस सीएनजी गैस आदि का निर्माण हो सकता है, मगर सरकार इस पर ध्यान न देकर विदेशों पर निर्भर है। हमारा देश गाय के दूध, दही, घी सहित पंचगव्य को सदियों से उपयोग कर रही है, बावजूद अब तक गाय को सम्मान प्राप्त नहीं हो सका है। श्रीराम और श्रीकृष्ण ने गो सेवा कर भगवान का दर्जा पाया। गोवंश के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है। इस अवसर पर कथा वाचक सीताशरण महाराज ने भी गो की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। सभी लोगों कम से कम एक गाय जरूर पालनी चाहिए। गो कथा में हर दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। इस मौके पर नगर पालिका अध्यक्ष राकेश नौटियाल, पूर्व पालिका अध्यक्ष रेखा सेमवाल, गोपाल गोलोक धाम की अध्यक्ष शकुन्तला नौटियाल, भाजपा जिलाध्यक्ष विजय कप्रवाण, विश्व हिन्दू परिषद के जिला मंत्री बलवंत सिंह बुटोला, कमला देवी, शांति भट्ट, सच्चिदानंद नौटियाल, रेनू बिष्ट, सविता कप्रवाण, हिमा नौटियाल, विजय लक्ष्मी, अंजू नौटियाल, कला नौटियाल, पदमा जगवाण सहित सैकड़ों की संख्या में गो भक्त मौजूद थे।