गुट निरपेक्षता ही शान्ति का सहारा
गुट निरपेक्षता अन्तर्राष्टी्रय मामलों में एक शक्तिशाली शक्ति बन गयी है। ऐसे समय में जबकि विश्व में दो गुटों के बीच अविश्वास, भय एंव संदेह तथा पारस्पारिक दुश्मनी का बोलबाला है, मानव जाति की मुक्ति के लिए गुट निरपेक्षता की आशा की एक किरण प्रदान करती है। विश्व पर प्रभुत्व जमाने हेतु महाशक्तियों के पास विनाशकारी शक्ति के नाभिकीय अस्त्र हैं; ऐसे समय में गुट निरपेक्षता ही शान्ति का सहारा मालूम पडता है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में गुट निरपेक्षता पूर्ण रूप से नई चीज नहीं है। यह धारणा किसी न किसी रूप में आस्तित्व में रही है। पुराने जमाने में भी शान्ति और युद्ध के समय तटस्थ देशों की धारणा विद्यमान थी। जब कभी दो देशों के बीच युद्ध होता था तो कुछ देश अपनी तटस्थता की द्योषणा कर देते हैं और अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार उनके कुछ अधिकार और उत्तरदायित्व हो जाते हैं। वर्तमान युग में वर्तमान परिस्थितियों के सन्दर्भ में इस धारणा ने नया महत्व ग्रहण किया है। अब विश्व दो शक्ति गुटों में विभाजित है-यू0 एस0 ए0 के नेतृत्व वाला पश्चिमी गुट एवं रूस के नेतृत्व वाला पूर्वी गुट। कुछ देश दोनों में से किसी एक गुट के साथ हैं। इस प्रकार नाटो नाम का एक प्रतिरक्षा संगठन है। जिसमें संयुक्त राज्य अमरीका सहित बहुत से पश्चिमी देश सम्मिलित हैं, और दूसरा संगठन वारसा पैक्ट है जिसमें रूस सहित बहुत से पूर्वी यूरोपीय देश है। इन दोनों गुटों में शीत युद्ध चलता रहता है। और यह शीत युद्ध कभी भी गर्म युद्ध में परिवर्तित हो सकता है जिससे इन देशों में ही मौत और विनाश नहीं आएगें बल्कि सम्पूर्ण विश्व में, दोनों गुटों के मध्य युुद्ध में प्रयुक्त नाभिकीय अस्त्रों के प्रभाव से पृथ्वी का कोई भी कोना सुरक्षित नहीं बचेगा।