चुनाव न समझ महापर्व समझे ….
हम सभी अब सबसे बड़ा महापर्व मनाने की और है | यह पर्व न ही हिन्दू का है , न ही मुस्लिम का है और न ही सिख और ईसाई का है , यह पर्व सम्पूर्ण धर्म एवम् जाति का मिला हुआ समावेश है जिसको हम लोग बड़ी ही सादगी से मनाते है | तभी तो कहा गया है कि भारत की संस्कृति में विविधता में भी एकता है | हम सभी इस महापर्व की विवेचना करे तो तो इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि हम कितने सच्चाई से इस महापर्व को मनाते है | हम जिस सौहार्द से ईद , दीपावली , होली, बैशाखी , क्रिसमस मिलकर बिना जाति-धर्म के भेद-भाव से मनाते है ठीक उसी तरह यदि इस महापर्व रूपी चुनाव में हम एक उत्कृष्ट उत्तराखण्ड के निर्माण में एक स्वच्छ मन से योगदान करके मनाये तो उत्तराखण्ड की उत्कृष्टता को और बढ़ाया जा सकता है | जिस तरह से आज के नवयुवा यह नही देखते कि यह ईद मुस्लिम , दीपावली – होली हिन्दू , वैशाखी सिख , क्रिसमस ईसाइयो का त्यौहार है | यदि आज के युवा इसी स्वच्छ मन से यह न देखे कि यह कांग्रेस है , यह भाजपा है , यह बसपा है , यह सपा है , यह आप है या कोई अन्य पार्टी बल्कि वह केवल उम्मीदवार को देखे कि वह विधायक बनने योग्य है या नही | चाहे वह किसी भी पार्टी से हो यदि वह ईमानदार , स्वच्छ छवि , समाज और समाजिक कार्यो से जमीनी तौर से जुड़ा हुआ हो तो उसे चुने | हम बदलेगे तो राज्य की पहचान बदलेगी और राज्य की पहचान बदलेगी तो देश की पहचान बदलेगी | उत्तराखण्ड राज्य के सभी युवा इस चुनाव रूपी महापर्व इसी पर्व के रूप में मनाये तो वह दिन दूर नही जब हमारे सभी विधायक विधान सभा के लिए आदर्श बनेगे |
अरुण कुमार यादव
( सम्पादक- पहचान एक्सप्रेस )