जब रिक्शेवाले ने सुसाइड करने से बचाया लड़की को , 8 साल बाद आखिर क्या हुआ, जानिए खबर ..
अच्छे काम करने का फल कही न कही जरूर प्राप्त होता है लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि कितने भी अच्छे काम करो, लेकिन जिंदगी में जो मिलना होता है वहीं मिलता है, परन्तु रिक्शा चलाने वाले इस आदमी की इमोशनल स्टोरी सुनकर आप भी कहेंगे कि अच्छा काम कभी बेकार नहीं जाता। जिंदगी कब हमें कौन सा खूबसूरत उपहार दे दे, हम नहीं जान सकते। फेसबुक पर वायरल हुई बबलू शेख नाम के इस रिक्शाचालक की सच्ची कहानी एक यूजर GMB Akash ने शेयर की है। इस रिक्शाचालक ने एक जवान लड़की की जान बचा ली, जब वो ट्रेन से कटकर आत्महत्या करने पहुंची थी। लड़की ने बबलू से कहा मुझसे कभी मत मिलना और बबलू अपने सीने में यह बात दबाए रहा। 8 साल बाद जब बबलू अस्पताल के बेड पर पड़ा दर्द से कराह रहा था, उस समय वही लड़की लौटी एक ऐसी कहानी के साथ, जिसने बबलू के सारे जख्म एक झटके मे भर दिए। बबलू शेख नाम का यह शख्स करीब 30 साल से रिक्शा चला रहा है। बबलू बताता है कि वो हमेशा से एक बेटी चाहता था, लेकिन उसके 3 लड़के थे। अपनी पत्नी से हमेशा कहता था कि लड़कियां किस्मत वालों को ही मिलती हैं, हमारी किस्मत में बेटी नहीं है। एक रोज एक आदमी ने अपनी जवान बेटी को कॉलेज छोडने के लिए मुझे हायर किया। उसने कहा कि देखो ध्यान से ले जाना। वो अपनी बेटी से बोला कि रिक्शा ठीक से पकड़कर बैठना कहीं गिर मत जाना।मैं उसे रिक्शे पर बिठाकर कुछ दूर चला था कि मुझे उसके रोने की आवाज सुनाई दी। मैंने रिक्शा रोककर उससे बात करने की सोची कि आखिर वो रो क्यों रही है, लेकिन उसने मुझे झिड़कते हुए कहा कि पीछे मुड़कर मत देखो। कुछ देर बात लड़की ने रिक्शा रोकने को कहा और वो किसी को फोन लगाकर बात करने लगी। फोन पर बात करते हुए वो लगातार रो रोकर चिल्ला रही थी। उसकी बातों से मुझे लगा कि वो शायद किसी लड़के के साथ घर से भागना चाहती है। यह सोचते ही मुझे गुस्सा आने लगा। मुझे लगा कि अच्छा है कि मेरी बेटी नहीं है। मैं यह बात सोच ही रहा था तभी….अचानक वो रिक्शे से कूदी और पास से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक की ओर भागने लगी। वो शायद आत्महत्या करने जा रही है। पहले मुझे लगा कि जाने दो वो जहां जा रही है, लेकिन मेरे दिल ने मुझे आगे बढ़ने ही नहीं दिया। मैनें रिक्शा किनारे लगाया और उसके पीछे भागते हुए रेलवे ट्रैक पर पहुंच गया। मैने उसे समझाते हुए वहां से चलने का कहा, लेकिन उसने मुझे गंवार और बेवकूफ आदमी कहते हुए झिड़क दिया। वो बहुत बहुत जोर जोर से रो रही थी। मैनें उसे रोने दिया ताकि उसका दिल हल्का हो जाए। मैं उसे इस सुनसान इलाके में अकेला छोड़ने में डर रहा था। उस बेचारी लडकी की खातिर मैं वहां घंटों तक रुका रहा। तभी बारिश होने लगी। इसके कुछ देर आखिरकार उसने मुझसे कहा कि रिक्शा लाइए। मैं रिक्शा लाया और फिर पूरी स्पीड में उसे उसके घर की ओर लेकर चला। हमने आपस में कोई बात नहीं की। जब मैंने लड़की को उसके घर छोड़ा तो उसने मुझसे कहा कि आप प्लीज यहां दोबारा कभी मत आइएगा। मैं सिर झुकाकर चुपचाप वहां से चला गया।इस घटना को 8 साल से ज्यादा समय बीत चुका था। एक बार रोड पर रिक्शा चलाते समय मेरा एक्सीडेंट हो गया। मैं पूरी तरह बेहोश था। कुछ लोग मुझे उठाकर अस्पताल ले गए। कुछ देर बाद जब मुझे होश आया तो एक लड़की मेरे पास खड़ी थी। उसने मेरा हाथ पकड़कर कहा कि अब कैसे हैं। मुझसे मिलने दोबारा कभी घर क्यों नहीं आए। उसके ऐसा कहने के बाद मैं सोचता रहा कि डॉक्टर की ड्रेस में वो लड़की कौन है। मेरा इलाज अच्छा चल रहा था। मुझे बड़े डॉक्टर के पास ले जाया गया। उस लड़की ने बड़े डॉक्टर से कहा कि ये मेरे पापा हैं। इस पर बड़े डॉक्टर ने लडकी से अंग्रेजी में कुछ बात की। लड़की ने मेरा हाथ पकड़कर कहा कि अगर मेरे ये पिता उस समय मेरा सपोर्ट नहीं करते तो आज मैं डॉक्टर नहीं बन पाती। उस लड़की के ऐसा कहते ही मैनें आंखें मूंद लीं। उस समय मुझे कितनी खुशी महसूस हो रही थी मैं किसी से बता नहीं सकता था। सालों पहले मिली वो लड़की आज डॉक्टर बेटी बनकर मुझे मिल गई थी।