झोपडी में रहने को मजबूर फुटबॉल महिला खिलाड़ी सोनी
देेश में जहा एक तरफ क्रिकेट खेल और उसके खिलाड़ी मालामाल है वही देश में अन्य खेलो की तस्वीर आप के सामने है उनसे संबंधित खिलाड़ियों की दशा और भी दयनीय है | खिलाड़ी कहलाना तो आसान है पर खिलाड़ी बनना मुश्किल है | यह हम नही यह देश के अंतराष्ट्रीय खिलाड़ियों की हालात बयां कर रही है | हम बात कर रहे है उस युवा फुटबॉल महिला खिलाड़ी की जो आज भी झोपड़ियो में रहने पर मजबूर है | सोनी अंडर १४ फुटबॉल टीम की कप्तान भी है | देश का नाम रौशन करने वाली सोनी के पिता पन्नलाल और माँ बबिता बच्चों के भरण पोषण के लिए मजदूरी करते है | सोनी ने बताया की घर में कभी कभी खाने नही हो पाते थे और ऐसे में मै फुटबॉल खेल के लिए जूते और अन्य समान के लिए सोच भी नही सकती थी पर मै हिम्मत नही हारी इस खेल को खेलने के लिए आगे बढ़ती रही | आज सोनी जहा अंडर १४ फुटबॉल टीम की कप्तान है वही उनकी कप्तानी में टीम बहुत से मैच भी जीते है | पर अफ़सोस है खेल अधिकारियो और देश के नेताओ पर जो आज भी सोनी झोपड़ियो में रहने पर मजबूर है | ऐसे ही अनेको खिलाड़ी उदाहरण के रूप में है जो खबरों की सुर्खियों नही बन पाये है पर स्थिति एक जैसी है |