डीएवीपी में उत्तराखंड की वेब पोर्टल्स को दी जाएगी विशेष छूट
वेब मीडिया एसोसिएशन द्वारा दिए ज्ञापन का राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने लिया संज्ञान
राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने उत्तराखंड के वेब पोर्टल की समस्याओं को लेकर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्वतंत्र प्रभार राज्यवर्धन राठौर से की भेट
नई दिल्ली/देहरादून|उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने आज उत्तराखंड के वेब पोर्टल की समस्याओं को लेकर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्वतंत्र प्रभार राज्यवर्धन राठौर से भेट की। वेब मीडिया एसोसिएशन द्वारा दिए ज्ञापन का राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने संज्ञान लिये |बलूनी ने कहा की उत्तराखंड में इंटरनेट कनेक्टिविटी समस्या के चलते पर्वतीय जनपदों में वेब पोर्टल्स के लिए यूजर्स ला पाना दिक्कत भरा काम होता है, जिस कारण वे वेबपोर्टल्स के लिए बनी विज्ञापन नीति के मानकों में पिछड़ जाते हैं। सीमित संसाधनों और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या से जूझते हुए आंचलिक और वेबपत्रकारिता में बने रहना कठिन कार्य है। सांसद बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड ऐसे पोर्टल जो राज्य के सूचना लोक संपर्क विभाग की विज्ञापन नियमावली की “क” श्रेणी में अधिसूचित है और राज्य के जनसामान्य तक समाचार पहुंचाने का दायित्व निभा रहे उन्हैं डीएवीपी के नियमों के मुताबिक प्रतिमाह न्यूनतम ढाई लाख यूजर्स लाना आवश्यक है। माननीय मंत्री ने भी स्वीकार किया कि उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य में वह पोर्टल की पत्रकारिता संचालित करना कठिन कार्य है विशेषकर मानकों के लिहाज से। बलूनी ने कहा कि जो वेब पोर्टल्स उत्तराखंड राज्य में सूचना एवं लोक संपर्क विभाग की “क” श्रेणी में अधिसूचित हैं उन्हें स्वतः डीएवीपी की “घ” श्रेणी गांव में सम्मिलित कर लिया जाए, यदि संभव ना हो तो पर्वतीय क्षेत्र में संचालित न्यूज़ पोर्टल्स के लिए डीएवीपी की नीति में संशोधन करते हुए नई कैटेगरी बनाई जाए। मंत्री राज्यवर्धन राठौर ने इस विषय में सहमति जताते हुए कहा कि निसंदेह इंटरनेट की कनेक्टिविटी का संकट पोर्टल्स को झेलना पड़ता है वे विज्ञापन नीति में संशोधन हेतु शीघ्र इस पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि वह इस विषय को विज्ञापन नीति में समायोजित करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश देंगे ताकि विषम भौगोलिक परिस्थितियों में पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों को राहत मिल सके, दूरस्थ अंचल की खबरें व सरकार की नीतियां आम जनता के बीच जा सके।