तेज रफ्तार से हो जायेगा जीवन बेकार
यह कथन उस वक्त सही साबित होता ह जब तेज गति में गाडी चलाने का खामियाजा चालक या किसी अन्य व्यक्ति को भुगतना पडता है।रश ड्राइविंग की बात करे तो हमारे युवा गाडी पर बैठकर सत्तर-अस्सी की स्पीड रखते हैं और इसमें रोमांच का अनुभव करते हैंऐसे युवक तेज रफ्तार में हवा से बात करना कौतूहल का विषय मानते हैं।पर्वमीय क्षेत्र में आए दिन सडक दुर्घटना की खबरे हम सुनते हैं जिनका कारण ड्राइविंग होता है और कुछ शराब पीकर भी गाडी चलाने में अपनी जान की परवाह नहीं करते हैं।तेज गति से सडक पर वाहन चलाने से रास्ते में चलने वाले लोग तो प्रभावित होते ही हैं साथ ही कुछ युवक या तो अपने जीवन को गवां बैठते हैं या फिर कुछ अपंग हो जाते हैं।ऐसे में स्वयं का जीवन जीवन तो खत्म हो ही जाता है साथ ही परिजनों को भी जिंदगी भर के लिए दुख दे जाते हैं।युवकों को अपने माँ-बाप का ध्यान रखकर गाडी को उचित गति से चलानी चाहिए हजससे स्थिति उसके नियंत्रण में हो सके।शहरों में यह अधिकतर होता है।इसलिए युवाओं को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, न कि इसे रोमांच का विषय बनाया जाना चाहिए।सछक् पर सरकार ने जो मानक गमि निर्धारित की है जिसमें कई जगह बोर्ड लगे होते हैं उसी गति से गाडी चलानी चाहिए,यातायात के नियमो का पालन करने से दूसरों की परेशानियां तो दूर होंगी ही साथ ही अपना अनमोल जीवन बचा रहेगा।
– हिना आजमी(मासकाॅम)
क्लेमेंटाउन,देहरादून