दृष्टिहीनता हो को प्रांजल ने दी मात …
अंधेरी दुनिया बिछी हो जब आंखों के आगे और एक दिन अचानक कामयाबी कदम चूमने लगे तो मन को कैसा लगता है? ये बात उन होनहारों से पूछी जा सकती है, जिन्होंने हाल ही में ऊंची छलांग लगाकर अनगिनत लोगों का दिल जीत लिया है। उनमें ही एक हैं महाराष्ट्र की रहने वाली जेएनयू की रिसर्च स्कॉलर प्रांजल पाटिल। महाराष्ट्र की प्रांजल पाटिल को दोनो आंखों से दिखता नहीं है। द्विव्यांगता के कारण ही वर्ष 2015 में यूपीएससी परीक्षा में 773वीं रैंक आने के बावजूद रेल मंत्रालय ने उन्हें यह कहते हुए नौकरी देने से इनकार कर दिया था, कि वह तो पूरी तरह से दृष्टिहीन हैं। प्रांजल ने फिर भी हार नहीं मानी और हाल ही में जब यूपीएससी के परिणामों का पिटारा खुला, तो उन्हें मिली 124वीं रैंक और करवट लेते वक्त ने उनकी जिंदगी में चारों तरफ उजाला भर दिया।
साभार – जय प्रकाश जय