पहचान : 31 वर्ष बाद उत्तराखंड लौटी “भावना”
प्रदेश के करीब दस हजार युवाओं को रोजगार देकर पलायन पर लगाएंगी अंकुश
देहरादून | जहाँ चाह है वही राह है इस कथन को सत्य किया है मूल रूप से हल्द्वानी (नैनीताल) निवासी भावना पांडे ने, भावना पांडे आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है भावना पांडे का मानना है द ग्लोबल गॉड मदर फाउंडेशन की संचालिका भावना पांडे ने बताया कि महज 16 वर्ष की अल्पायु में उन्हें उत्तराखंड से पलायन को विवश होना पड़ा और 31 वर्ष संघर्ष करने के बाद उत्तराखंड लौटी । पलायन का दर्द समझती हैं, इसिलिये सवाल उठाती हैं कि आखिर क्यों स्थानीय लोगों को प्रदेश में रोजगार नहीं मिल पाता ? क्यों, पहाड़ में आज तक भी उचित शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव बना हुआ है ? क्यों, दूर दराज के ग्रामीणों को आज भी कई मिल पैदल चलने को विवश होना पड़ता है ? शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अभाव में पलायन ही तो विकल्प बचता है।
उत्तराखंड में सुपर मार्केट की चैन भी शुरू करने का प्रयास
भावना पांडे का उद्देश्य, प्रदेश के करीब दस हजार युवाओं को रोजगार देने का है। जिसके लिये वह, तमाम योजनाओं पर काम रही हैं। हरिद्वार में तैयार फ्रोजन प्लांट के लिये, पर्वतीय जिलों के किसानों के उत्पादों को खेत से ही खरीदकर उन्हें बिचौलियों से भी बचाया जायेगा। इसके अलावा, उत्तराखंड में सुपर मार्केट की चैन भी शुरू करने के प्रयास कर रही हैं। भावना पांडे का दावा है कि यदि उत्तराखंड सरकार भूमि उपलब्ध कराए, तो वो यहां फ़िल्म सिटी बनाने को निवेशक ला सकती हैं। जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार और आय के अवसर भी बढ़ेंगे। पहाड़ में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही प्रतिभाओं की कमी नहीं, कमी है तो बस फ़िल्म नीति की। भावना द्वारा लॉक डाउन के दौरान देहरादून में नियमित रूप से जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के साथ ही, कोरोना वारियर्स को भी मास्क, सेनिटाइजर आदि वितरित किया गया । समाज के प्रति समपर्ण भाव को देखते हुए भावना पांडे को कोरोना वॉरियर्स भी चुना गया है |