पाँच दिवसीय प्रशिक्षण एंव कार्यशाला का आयोजन
श्सगंध तेलों, इत्रसाजी और सुगंध चिकित्साश् पर पाँच दिवसीय प्रषिक्षण एंव कार्यषाला आज दिनांक 22 जून,2015 को शुरू हुई, जिसका आयोजन वन अनुसंधान संस्थान देहरादून और सुगंध एंव सुवास विकास केन्द्र(एफएफडीसी) कन्नौज द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। इस कार्यषाला में उधमियों, गैर सरकारी संगठनों और सुगंध एंव सुवास षोध एंव व्यवसाय से जुडे अन्य लोगों सहित भारत के अलग-अलग भागों से कुल मिलाकर 25 सहभागी भाग ले रहे है। बतौर मुख्य अतिथि डा0 अष्वनी कुमार, महानिदेषक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एंव षिक्षा परिशद ने प्रषिक्षण एंव कार्यषाला का उद्घाटन करते हुए खाद्य, औशध एंव औधौगिक विकास में सगंध तेलों के महत्व से सबको अवगत कराया। डा0 अष्वनी कुमार ने सगंध तेलों के उपयोगिता परिवर्धन और उत्पाद विविधीकरण पर, इनकी जैवसुरक्षा पर पर्याप्त ध्यान देते हुए, उच्च गुणवत्ता पूर्ण षोध की आवष्यकता पर जोर दिया। उपस्थित सहभागियों को सम्बोधित करते हुए डा0 सविता, निदेषक,वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून ने औशधीय एंव सुरभित पादपों की महत्वपूर्ण संख्या वाले भारतीय वनों की समृद्व जैवविविधता का उल्लेख किया, उन्होने कहा कि विभिन्न उपयोगों के लिए इनमें से केवल 5 प्रतिषत का ही अब तक वैज्ञानिक रूप से दोहन किया गया है। डा0 सविता ने सुगंध उधमियों के हित में प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए रसायन प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, एंव एफएफडीसी के सयुक्त प्रयासो की सराहना की और भारत में सुगंध एंव सुवास उधोग की आवष्यकताओं को पूरा करने में इसके महत्व पर जोरदिया।डा0 एस. के. श्रीवास्तव, विस्तार अधिकारी, एफएफडीसी ने एफएफडीसी के कार्यकलापों का उल्लेख किया और प्रषिक्षण के तकनीकी सत्रों के उद्देष्यों की जानकारी दी। डा0 वी0 के0 वाश्र्णेय, प्रमुख, रसायनप्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान ने मुख्य अतिथि एंव उपस्थित सहभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि पाँच दिवसीय प्रषिक्षण एंव कार्यषाला को इस प्रकार तैयार किया गया है कि वह भारत और विष्व भर में सुगंध एंव सुवास उधोग के विभिन्न पारम्परिक और उभर रहे मुद्दो का समाधान प्रभावी रूप से ही कर सके। डा0 श्रीवास्तव ने सूचित किया कि प्रषिक्षण का पाठ्यक्रम सहभागियों के विभिन्न समूहों की आषाआंे को पूरा करने हेतु अभिकल्पित किया गया है। प्रषिक्षण कार्यक्रम की संयोजक डा0 रष्मि, वैज्ञानिक-‘डी‘ ने कार्यक्रम के अन्त में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। उद्घाटन समारोह में डा0 एन. एस. के. हर्श, समूह समन्वयक, (अनुसंधान), सभी प्रभाग प्रमुख, डा0 नीलू गेरा, डीन (षैक्षिक), डा0 ए. के. त्रिपाठी, कुलसचिव, वन अनुसंधान संस्थान सम विष्वविघालय, श्री ए. पी. सिंह, एफएफडीसी, कन्नौज और संस्थान के वरिश्ठ वैज्ञानिक उपस्थित थे। डा0 रष्मि ने उद्घाटन समारोह का संचालन किया।प्रषिक्षण एंव कार्यषाला 26 जून 2015 तक चलेगी और इसमें प्रकमण के सैद्धान्तिक एंव व्यवहारिक पहलुओं, सगंध तेलों के गुणवत्ता मूल्यंाकन एंव चिकित्सकीय लाभों और सहभागियों की वैज्ञानिक जानकारी,दक्षताओं ओर उधमषीलता की उन्नति कि लिए इत्रसाजी और सुगंध चिकित्सा में इनके उपयोगों की विस्तृत जानकारी सुगंध उधोगों के विषेशज्ञों, वैज्ञानिकों और कार्यरत सुगंध चिकित्सकों द्वारा व्याख्यानों और व्यावहारिक प्रदषनों द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।