पिरूल से ऊर्जा उत्पादन में तेजी गति प्रदान की जाए : मुख्य सचिव
देहरादून | मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में पिरूल नीति के तहत प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स को स्वीकृत करने हेतु गठित परियोजना अनुमोदन समिति की प्रथम बैठक सम्पन्न हुयी। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक पिरूल से ऊर्जा उत्पादन को तेजी से गति प्रदान की जाए। बैठक में बताया गया कि पिरूल नीति के अन्तर्गत उरेडा एवं वन विभाग नोडल एजेंसी हैं। उरेडा द्वारा इसके लिए प्रस्ताव आमन्त्रित किए गए थे। निर्धारित तिथि तक कुल 21 प्रस्ताव जिसमें प्राप्त हुए। इसमें 20 प्रस्ताव पिरूल से विद्युत उत्पादन एवं एक प्रस्ताव पिरूल से ब्रिकेट बनाने के लिए शामिल है। बैठक के दौरान पिरूल नीति के अन्तर्गत 25 किलोवाट के 20 प्रस्तावों को अनुमोदन प्रदान किया गया। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रोजेक्ट लगाने के इच्छुक लोगों और संस्थाओं को हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएं। मुख्य सचिव ने निर्देश दिये कि लाभार्थियों को बैंकों से बिना कोलेटरल ऋण दिलाने के लिए बैंकर्स से बातचीत की जाए। इसके साथ ही जनपद स्तर पर जिलाधिकारी को एमएसएमई नीति के लाभार्थियों को मिलने वाली लाभ भी प्रदान किए जाएं। इसके तहत उत्पादित विद्युत को यूपीसीएल द्वारा क्रय की जाएगी। इसके लिए ग्रिड फीजिबिलिटी की कार्यवाही शीघ्र पूर्ण की जाए। उन्होंने कहा कि पिरूल नीति से क्षेत्रवासियों विशेषकर महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण और रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि पिरूल संयंत्र तक जंगलों से पिरूल कलेक्ट करने में स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि चीड़ की पत्तियों से हर साल 150 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। मुख्य सचिव ने कहा कि गर्मियों के दिनों में पिरूल वनाग्नि का कारण बन जाता है। पिरूल पर तेजी से आग फैलती है, जो पूरे जंगल को चपेट मे ले लेती है, इससे वन संपदा के साथ जनहानि एवं पशुहानि भी होती है। मुख्य सचिव ने कहा कि वनों को आग से बचाने में यह प्रोजेक्ट बहुत ही कारगर साबित होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के वनों और वन्य जीव जन्तुओं को बचाने के साथ ही रोजगार की सम्भावनाएं बढ़ाने के लिए हम सभी को पिरूल से विद्युत उत्पादन को सफल बनाने के हर सम्भव प्रयास करने होंगे। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं, औद्योगिक संस्थानों, ग्राम पंचायतों, वन पंचायतों एवं महिला मंगल दलों को प्रोत्साहित किया जाए।