पिरूल से मिलेगी बिजली और रोजगार, जानिए ख़बर
पिरुल की नीति पर मुख्यमंत्री ने लिखा ब्लाॅग
देहरादून | अमूल्य वन संपदा से भरपूर उत्तराखंड के जंगल अब आय का जरिया बनने के साथ-साथ बिजली उत्पादन का साधन भी बनेंगे। राज्य सरकार ने उत्तराखंड में पिरूल नीति लागू कर, चीड के वनों को राजस्व का जरिया बनाया है, पिरूल के उपयोग से बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में ऐसी करीब 6000 इकाइयां स्थापित करने की योजना है। इससे लगभग 60 हजार लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होगा। 25 किलोवाट तक की एक इकाई से सालभर में 1 लाख 40 हजार यूनिट बिजली और करीब 21 हजार किलो चारकोल निकलेगा। इसे बेचने से 9.3 लाख रुपए तक की आय प्राप्त हो सकती है। पिरूल संयंत्र तक जंगलों से पिरूल कलेक्ट करने में स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा। वन पंचायत स्तर पर महिला मंगल दलों को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी। सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए कई कदम उठाए हैं। मंदिरों के प्रसाद से महिलाओं की आर्थिकी को संवारने की योजना, एलईडी उपकरणों के निर्माण की ट्रेनिंग देकर उनमें व्यावसायिकता को बढ़ावा देना और ग्रोथ सेंटर में महिलाओं को रोजगार देने के बाद अब राज्य सरकार ने पिरूल को स्थानीय लोगों की आमदनी से जोड़ा है।